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परम्परागत प्राकृत व्याकरण की समीक्षा और अर्धमागधी
(iii) कम्मेहि 2.3, गलेहि 212, सामभेयक्कियाहि 24.12,
भासापणइएहि 41.12, पुप्फादिहि 45.53 (iv) सव्वदुक्खाणं 21 पं. 9, जीवाण 3! पं. 8, पुग्गलाण 31
पं. 10, सरीराण' 9.14, सव्वदुक्खाण 15.28, संजोगाणं 21.9 पमत्ताण 35.20, णराण 41.1, माणवाण' 45.1, पुप्फाणं 45.53
(v) मणुण्णेसु सद्देसु 16 पं. 4,5,7, रुवेसु गंधेसु , रसेसु फासेसु 16 पं. 9, 38 पं. 2, सव्वत्थेसु 1.2, सिक्खागतीसु 9.16, गामेसु 22.7, कूडेसु 26 ), सद्दसु 38.5, णरएसु, कामेसु 45.1 उत्तराध्ययन (i) निरस्थाणि 1.8, पंताणि 8.12, अट्टालगाणि 9.18,
वद्धमाणगिहाणि 9.24, पंचिदियाणि 9.36, खेत्ताणि 12.13, कम्माणि 13.26, महालयाणि 13.26, एयाणि 5.21, जालाणि 14.36, सुयाणि 19.11, पंचमहव्वयाणि 19.11 मरणाणि 19.16,47, सारभंडाणि 19.23, सोढाणि 19.47, भीमाणि 19.47, जम्माणि 19.47, सीसगाणि 19.69, सोल्लगाणि 19.70, मधूणि 19.71, रुहिराणि 19.71 वल्लराणि 19.81, सराणि 19.81, आभरणाणि 22.20, सवाणि 22.20, तणाणि 23.17, इंदियाणि 23.38
ला १. श्री लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अहमदाबाद
(कागज की प्रति) वि. सं १५२५ ला २. . श्री लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्याम दिर, अहमदाबाद
(कागज की प्रति) १६ वीं शती .. ह.. . मुनि श्री हंसविजयजी के संग्रह की प्रति ।
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