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के. आर. चन्द्र
(iii) ढंकेहि 1.1.3.3, कसायवयणेहि 1.31.15, णायएहि 1.8.12, सुहीहि 1.8.12. हत्थे हि पाएहि 10.2
१०२
(iv) अण्णाण 1.1.3.5, भिक्खूणं 1.3.2.1, पंथाणं 1.33.5 कुसीलाणं 1.4 1.12, जिणाणं 1.6.7, पाणिणं 1.8.4, बुद्धाणं 1.9.32, दुक्खाणं 15.17, सव्वसाहूणं 15.24
(V) सेज्जासु 1.1.4.11, इत्थीसु 1.3.2.22, इत्थीपोसेसु 1.4.1.20, रुक्खेसु 1.6.18, एतेसु 1.7.210.5, हरितेसु 1.9.19, आरंभेसु 1.9.35, अणियाणभूतेसु 10.1, पावसु 10.5, अमणुस्सेसु 15.16
पयासु 10.4,
ऋषिभाषितानि
(i) पिट्टणाणि तज्जणाणि 9 पं. 5, णाणदंसणचरिताणि 24 पं. 11 कम्माणि 2.5, दुवस्वाणि 27, अण्णमण्णाणि, गहणाणि 45 पावकम्माणि 9.15, दुक्खाणि 15.1, इन्दियाणि 16.3
(ii) देवनारदेण 1 पं. 3, वज्जियपुत्तेण 2 पं.1, महाकासवेण 9 पं. 2, अमच्चेण 10 पं. 10, तरुणेण 21 पं. 2, केण वा अट्टेण 31 पं. 3, 4, माहपरिणव्वायगेण 37 पं. 2 अण्णाण 2.8; 21.4, 7, 8, 9, संकप्पेण 4. 11, झाणेण 9.25. पडियारेण 15.8, णाणजोगेण 21.10, जेण 24.18, जग्गिएण 35 17, सुखेण 38.1, सत्थेण 45.18, भात्रेण 45.25
(घ) उत्तराध्ययन सूत्र के ( म. जै वि.) संपादन में उपयोग में ली गई प्रतियाँ श्री संघवीपाडा जैन ज्ञान भंडार, पाटण, वि. सं १९८९ ( ताडपत्र )
सं १.
सं २.
पु.
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श्री संघवी पाडा जैन ज्ञान भंडार, पाटण, वि. सं १२३२ (ताडपत्र) श्री लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अहमदाबाद, ( कागज की प्रति) १६वीं शती
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