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सत्तमो संधि
तो रणउहि दिण्ण महाहवेण हय गयबर रहु सय - खंडु जिउ कह-कह-वि कुमारु ण घाइयउ ते भिडिय परोपरु दुब्बिसह सिणि- सुअहो सरासणु ताडियउ धणु लइ अवरु सरु विच्छियर तुम्हहि मि आसि संगामु किट वहि जे सों ज्जि हवं सो विज रहु
इकारिउ ताव हलद्वपण
रहु बाहि वाहि
डम्मुह
पच्चारइ जाव ताब- भिडिउ तो बावरंति
विणिचारणेहिं
हयलु जनजरि वसुंधर - वि विद्दि एक्कु बिथाणु ण वीसरइ विहिं एक्कु बि एकहो णउ खमइ सदिकाले अनंते अंतरि
पजा-४
घन्ता
पकचार जाम
ताम सिलीमुद्देहि लइउ । पाडिउ सण्णाहु को ण जठु लोहमइउ ॥
अब रेहि-मि सरेहिं णाई
कलहंसे
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जर- संघहो बंधुर-बंधवेण धर पाfee साराह बिल्लु fee तहि अवसरे सच्चइ घाइय संचाइय-धाइय-पवर - १६ सुर-करि-विसाणु णं पाडिय वसुएवें ताम पडिडिय रोहिणि पाणिग्गद्दे को ण जिह तं धणुधरु सो विज वाण - णिवहु ८
४९
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बलवे जय - सिरि-लुख एण पर जइ ण देहि पच्छाबह णं गिरि दवगि समावडि मोहण - थंभण आकरिसणेहि विहिं एक्कु-वि एकहो सज्झु ण-वि विहि एक्कु - वि एकहो णोसरङ्ग विहिं एक्कु बि एक्कु ण अक्रमइ अरि उरसि खुरुषे कप्परिट
घन्ता
कम-कर- सिरहं णियट्टियां । कोमल-कमलई खुट्टियां ॥
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