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________________ सिरि- रामालिंगिय-वच्छयलु ३- णिमित् कमलायरे कमल - मुसुमूरिय-माया संदणेण अलि-वलय- जलय - कुत्रलय -सवण्ण णं वसु-वरंगण - रोमराइ णं इंदणील-मणि- भरिय वाणि तहि काले णिहाला आय सव्व थिय भावणदेव धरिन्ति-मग्गे आदि दणु-तणु-मद्दणेण संखोहिय जलयर जलु विसट्ट छट्टो संधि उद्धार विसहरु विसम-लीलु कालिदि- पमाण- पसारियंगु विष्फुरिय-फणामणि- किरण-जालु मुह - कुहर - मरुय - महिहरिंदु विस - दूसिउ जडणा-जल-पबाहु दप्पु गुरु उद्ध-फणालि - चंडु उप्पण्णड पण्णड अजउ को वि तो विसम-विसुग्गा रुग्गमेण केस कालि कालिंदि-जलु अंधारीहूयउ सव्वु Jain Education International [१] घत्ता लक्खिज्जइ जडण- जणद्दणेण रवि भइयए णं णिसि तले णिसण्ण णं दड्ढ - मयण- कढणिविद्दाइ (१) णं कालियाहि-अहिमाण- हाणि ४ गामीण गोव जायव स-गठव जोइज्जइ साहसु सुरेहिं सग्गे जउणा - दहु देव - णंदणेण णीसरिउ सप्पु पसरिय - मरदट्टु ८ पइज्ज करेपिणु णीसरइ । जहण - महादह पइसरइ ॥ तिणि-वि मिलियई कालाई । काई णियंतु णिहालाई ॥ [२] कलिकाल - कर्यंत - रउद्द-लील विवरीय - चलिय - जल-चल-तरंगु फुकार भरिय भुवणंतरालु णयणग्गि- झुलुक्किय- अमर-बिंदु ४ अवगणिय-पंकय - णाह - णाहु णं सरिए पसारिउ वाहु-दंडु पहरिज्जहि णाह णिसंकु होवि हरि वेढि उरे उरजंगमेण - ९ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001426
Book TitleRitthnemichariyam Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages144
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size7 MB
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