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________________ चउत्थो संधि परिणेविणु रोहिणि अमर-विरोहिणि तहिं संवच्छरु एक्कु थिउ । उप्पण्णउ हलहरु पुत्तु मणोहरु दइवें णं जस-पुंजु किउ ॥१ संकरिसणु रामु णामु णिमिउ वलएउ हलाउहु अवरु किउ बहु-सत्त-सयई हकारियई सउरी-पुरुवरे पइसारियइ वसुएउ णराहिउ संचरइ धणुवेय-गुरूवएसु करइ . . अच्छइ सय-सीसालंकरित सुपसिद्ध हूउ परमाइरिउ विज्जस्थिउ ताम कंसु अइउ घर-घल्लिउ ओहामण-लइउ दणु-दुहम-देह-वियारणई सिक्खविउ अणेयई पहरणई तहि काले कहिउ केण-वि गरेण पुरे घोसण किय चक्केसरेण जो को-वि णिवंधइ सीहरहु जीवंजस दिज्जइ तासु बहु घत्ता सहुँ इच्छ्यि -देसें देइ विसेसे सा वसुएवं वत्त सुय । भुय-दंड-पयंडे गं वेयंडे जमलालाण-खम विहुय ॥ १० [२] सहुँ सेण्णे अमरिस-कुइय-मण वसुएव-कंस गय वे-वि जण उप्परि पोयण-परमेसरहो केसरि-संजोत्तिय-रहवरहो परिवेढिउ पुरवरु गयवरेहि रवि-मंडलु णं णव-जलहरेहिं असहंतु पधाइउ सीहरहु सर-जाले पच्छायंतु णहु तहिं अवसरे कंसें वुत्तु गुरु हर आयहो रणमुहे देमि उरु तुडं पेक्खु अज्जु महु तणउं वलु। सीसत्तण-रुक्खहो परम-फलु वसुएवें हत्थुत्थलियउ रहु दिण्णु कंसु संचल्लियउ ते भिडिय परोप्पर दुव्विसह णाणाविह-पहरण-भरिय-रह ८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001426
Book TitleRitthnemichariyam Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages144
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size7 MB
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