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सयल स- सायर पिहिवि भवंते हियउ फुट्टू (?) रिंद खमिज्जहि जाम णराहिउ जोयइ अक्खरु धन्ति महियलि स सरु सरासणु दुष्पुत्त व आमेल्लिउ संदणु
रवइ हरिसें कहि-मिण माइउ रोहिणि-नाहु - विणिय रहु छंडेवि महिले सिरु लायंतु पदुक्कउ
एक्कहिं मिलिय सहोयर दिण्णु सहालिंगणु
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बरिस - सयहो मइ' दिडु जियंतें जं कि अविणउ तं मरुसिज्जहि ताम कुमार सहयरु भायरु णं कु-कलत्तु असारिय- पेसणु जायव - जण-मण-णयणाणंदणु कंची -दाम-खलंतु पधाइउ जस-गुण- विणएहि अप्पर मंडेवि देवेहिं कुसुम - वासु पम्मुक्कउ
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घन्ता
हरिवंशपुराणु
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जय-सिरि-गोयर पुण्णोवचएहि वड्डएहि । गाढालिंग विहि-मि सयं भुव - दंडएहिं ॥९
इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिया सयंभुएव - कए । रोहिणि-सयंवरो णामेणं इअओ सग्मो ||
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