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तईओ संधि
[९] जिणेवि पयंडु समरे असरालउ गउ वसुएउ लेवि णिय-सालउ भिडिउ णवर जरसंघहो साहणे रहवर-तुरय-महागय-वाहणे हम्मइ एक्कु अणतेहिं जोहेहिं तो-वि पवरिसिउ सर-धारोहेहि चउ-दिसु रहु वाहंतु ण थका संदण-लक्ख णाई परिसक्कइ एक्कु सरोसणु विणि जे हत्थउ विधइ णं धणु-कोडि-विहत्थर सरह पमाणु णाहिं णिवडतहं णं घण-घण-थंभहिं वरिसंतहं थिउ पारक्कउ लीहावद्धउ णं तवणेण तिमिरु ओबद्धउ णउ णासइ साहारु ण वंघइ स-सरासणि ण सरासणे संधइ
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पत्ता तं जरसंधहो साहणु रह-गय-वाहणु एक्के रण-मुहे धरियउ । सोह-किसोरहो भिडियहो कम-वहे पडियहो गय-जूहहो अणुहरियउ ॥ ९
[१०] तर्हि अवसरे मज्झत्थी-भावे पेक्खय-लोएं ललिय-सहावे' रूव-रिद्धि-सोहग्ग-मयंधहो धिद्धिक्कारु दिण्णु जरसंधहो कि जोइएण णराहिव-सत्तें जेण जुवाणु लइउ अक्खत्ते तं णिसुणेवि पिहिवि-परिपाले गंणिय-दूउ विसज्जिउ काले ४ धाइउ सत्तुजउ वसुएवही अहिमुहु (१) वइवस-विकखेवहो विष्णि-विस-सर-सरासण-हत्था विण्णि-वि जयसिरि-गहण-समत्था विण्णि-वि वावरंति अपमाणेहि जलहर-जलधारोवम-राणेहि तो सउहदें लद्धावसरें दिण्ण-सुरंगण-लोयण-पसरे ८
घत्ता ...: रिउ णाराएं ताडिउ सारहि पाडिउ हय हय छिण्णु महारहु ।
समर-भरोइडिय-खंधहो गउ जरमंधहो णिप्फुल णाई मणोरहु ।। ९
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