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________________ १७ . तईओ संधि [५] परिणित को कलत्तु उहालइ को इंदहो इंदत्तणु टालइ को फणिवइहे फणा मणि तोडइ वइवस-महिस-सिंगु को मोडइ तुम्हई विण्णि-वि रोहिणि रक्खही हउं अभिडमि एक्कु पडिवक्खहो वइरिहिं थरहरंत सर लामि उद्ध-कवंध-णिवहु णच्चावमि ४ गज्जिउ जं वसुएव-कुमारे दिण्णु महारहु सहु जोत्तारें दुइ सहास संदणहं रउद्दहं छग्गंधुदुर-मत्त-गइंदहं हयह चउद्दह दप्पुत्तालहं धाइय तिाण लक्ख पायालहं भिडियई वलई वे-वि अवरोप्परु रउ उच्छालउ भरंतु दियंतरु पत्ता मत्त-मयंग मयंगहुं तुरय तुरंगहुं रहवर रहवर-विदहुं । जोहहुं जोह महारणे रोहिणि-कारणे भिडिय गरिद गरिंदडं ॥ ९ उत्थरंति साहणाई चाउरंग-वाहणाई सुठु-वद्ध-मच्छराई तोसियामरच्छाई एक्कमेक्क-कोक्किराई कुत-कोडि-वोक्किराई वाण-जाल-छाइयाई तूर-णाय-णाइयाइ धूलि-वाउ-धूसराई आउहोह-जज्जराई दंति-दंत-पेल्लियाई सोणियंव-रेल्लियाई घोर-घाय-भिभलाई णित्त-अंत-चोभलाई तिक्ख-खग्ग-खंडियाई भल्लुया-रवाउलाई घोर-गिद्ध-संकुलाइ सीह-विक्कमें विवक्खे हीयमाणए स-पक्खें घत्ता तहिं अवसरे वाहिय-रहु मरण-मणोरहु सउरि स-सालउ थवाइ । दूसहु एक्कु हुवासणु अवरु पहंजणु वे वि धरेवि को सका ॥९ पजा-२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001426
Book TitleRitthnemichariyam Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages144
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size7 MB
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