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परिणिय णीलंजस - णामधेय
पुणु भिल्लहो तय जराए भुत्रु
पातु लभ परिभमिउ ताम - गउ णरवरु णवर अरिट्ठणयरु तहिं णरवइ णामें लोहियक्खु तहो घरिणि सुमित्त महाणुभाष -त णंदणु णाम हिरण्णणाहु आढत सयंवरु मिलिय राय
इयरिभिचरिए गंध-भो णामेण
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घत्ता
सव्वेहिं सव्व सामग्गि किया ।
'सव्वेक्केक- पहाण णिय-णिय-मंचारूढ अप्पाणु सई भूसंत थिय
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धवलइयासिय सयंभुएव- कए दुइज्जओ सग्गो ॥
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पुणु सोमलच्छि पुणु मयणवेय तहिं जरकुमारु उप्पण्णु पुत विहिं रहिय सत्त सयाइँ जाम तिलकेसहे कारणे णाई सयरु जसु केर णिम्मलु उहय - पक्खु भू-भंगोहामिय-मयण - चाव सुय रोहिणि से वट्टइ विवाहु कुरु- पंडव - जायव - पमुह आय
हरिवंशपुराणु
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