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________________ विईओ संधि [१०] कुमारेण सउरीपुरी-सामिएणं मउम्मत्त-मायंगिणी-भामिएण वला बंदिओ देव-देवो जिणिदो अणिंदो सुरिंदो य वंदाहिवंदो तिलोयग्ग-गामो तिलोयस्सवणाहो अराओ अकामो अडाहो अवाहो सुहं केवलं केवलं जस्स गाणं महादेव-देवत्तणं च पहाणं ४ असोय-हमो जस्स दिण्णोवसोहो पहा-मंडलं दुंदुही चामरोहो मइंदासणं आमरी पुप्फवासा ति-सेयायवत्ताई दिव्वा य भासा ण चिंधेहिं एएहिं तं देव-देवो णराणं वि दोसति कोवाबलेवो तुमम्मि पसण्णम्मि मा होंतु ताणं ण चिधाई एयाई सव्वामराणं ८ . घत्ता वंदेवि परम-जिणिंदु स-फलत्तउ गउ वसुएउ घरु । णं स-करेणु करेणु पइसरइ मणोहरु कमल-सरु ॥ [११] तहिं काले कुमार-कएण वाल ण पवंधइ णिय-सिरे कुसुम-माल ण पसाहइ अंगु पसाहणेण णं दीविय विरह-हुवासणेण जरु डाहु अरोचकु खासु सोसु। पासेउ खेउ पसरइ अ-तोसु संतावइ चंदण-लेउ चंदु मलयोणिलु दाहिणु सुरहि मंदु ४ परिपेसिय दुई जाहि माए लग्गेज्जहि सुहयहो तणए पाए चुच्चइ अणंग-रूवाणुकारि परिणिज्जउ विज्जाहर-कुमारि णीलंजस-णामें पइ-मि दिट्ठ मायगिणि-वेसे पुरे पइट्ट ण समिच्छइ जइ तो तं करेहि णिय-विज्जा-पाणे हरेवि एहि ८ घत्ता जाएवि दूयडियाए सामिणि-केरउ आएसु किउं । सुहु सुत्तउ-जि कुमार वेयट्ठ-महीहरु णवर णिउ ॥९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001426
Book TitleRitthnemichariyam Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages144
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size7 MB
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