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बिईओ संधि
[२] जस्थ सच्छ-विच्छलाई मच्छ-कच्छ-विच्छलाई रायहंस-सोहियाई मत्त-हत्थि-डोहियाई भीत-रंगु-भंगुराई तार-हार-पंडुराई पउमिणी-कवियाई चंचरीय-चुंवियाई मारुय-प्पवेवियाई चक्कवाय-सेवियाई णक-गाह-माणियाई एरिसाई पाणियाई सेय-णील-लोहियाई सूर-रासि-वोहियाई मत्त-छप्पयाउलाई जत्थ एरिसुप्पलाई
घत्ता तेत्थु रउदु गइंदु धाइयउ सवडम्मुहु णरवरहो । अहिणव-वासारत्तु (१त्ते) गज्जंतु मेहु णं महिहरहो ॥
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उद्धाइउ मत्त-महागइंदु कण्णाणिल-चालिय-महिहरिंदु चल-चरण-चार-चूरिय-भुवंगु कर-पुक्खर-परिचुंविय-पयंगु मय-जल-परिमल-मिलियालिविंदु दढ-दंतासारिय-सुर-गइंदु . णिय-काय-कंति-कसणीकयासु मय-सलिल-सित्त-गत्तावयासु उम्मूलिय-णलिणि-मुणाल-संडु दप्पुबुरु दुद्धरु गिल्ल-डु रब-वहिरिय-सयल-दियंतरालु सिर-वेझुप्पाडिय-गिरि-खयालु मुह-मारुय-वस-सोसिय-समुह पडिवारण-वारणु रणे रउद्द उद्धरिसण-भीमण-रूवधारि कलि-काल-कयंत जमाणुकारि
घत्ता सो आरण्ण-गइंदु हेलए जि कुमारे धरिउ किह ।
धाराहरु परिमंतु खोलेप्पिणु सुक्के मेहु जिह ॥ ९ 3. 4. b. गम्भाकयासु.
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