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हरिवंमपुराण
दास्य-कस-तोरविय-तुरंगमु चक-चार-चूरिय-उरजंगमु रहु सु मणोहरु दीसइ कण्णए णारउ दूरहो दावइ सण्णए पहु सो रुप्पिणि कंतु तुहारउ दुइम-दाणव-देह-क्यिारउ तो आरूढ वाल वर-संदणे सिय-सोहगा देति जउ-गंदणे ८
घत्ता तहिं अवसरे केण-वि अक्खियउ दुहम दणु-विणिवायणेण । कुढे लग्गहो जइ उवलग्गहो रुप्पिणि णिय णारायणेण ॥९
[७] तो कंदप्प-दप्प-उत्तालहो साहणु सण्णज्झइ सिसुपालहो भिच्चु भिच्चु जो अवसर-सारउ सूउ सूउ जो रह-धुर-धारउ रहु रहु जो रहसेण पयट्टइ करि करि जो अरि-रिहिं विघट्टइ तुरिउ तुरिउ जो तुरिउ पराणइ जाणु जाणु जं जाएवि जाणइ ४ जोह जोहु जो जोहेवि सकइ रहिउ रहिउ जो रहेवि ण थकाइ खग्गु खग्गु खरगुज्जल-धारउ चक्कु चक्कु पर-चक्क-णिवारउ कोतु कोतु कोतल-परिपालउ सेल्लु सेल्लु पर-सेल्ल-णिहालत सव्वल सव्वल सव्वल-भंजणि, लउडि लउडि लउडाउह-तन्जणि ८
घत्ता सण्णहेवि सेण्णु सिसुपालहो घाइउ रण-रहसुज्जमेण । महुमहेण पडिच्छिउ एंतउं. आवोसणु णावइ जमेण ॥
[८]
ताम पत्त मयमत्त-वारणा संपहार-वावार-वारणा भह-लक्खणा गणिय-संजुया दस-सहास-परिमाण-संजुया मंद तेत्तिया तेत्तिया मया तीस-सहस संकिण्ण-णामया सयल-कालु जे दाणवंतया सुर व रह (१) बहु-दाणवंतया
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