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________________ नवमो संधि तो णिकलमि समउ' जग-णाहे होउ होउ सिसुपाल-विवाहे . अच्छउ णिय-वलेण चउरंगे . पट्टणु वेढेवि रुप्पिणि-पंगे तिह करु गुरु जिह मिलइ जणहणु दुइम-दाणव-देह-विमणु घत्ता पडे पडिम लिहेवि दरिसाविय . पंकय-णाहहो णारएण । णं हियवए विद्ध अणंगएण कुसुम-सरासण-धारएण ॥ ९ . [५) . जिह जिह चरण-जुयलु णिज्झायइ तिह तिह वाल चित उपायइ जिह जिह ऊरु-पएसु णियच्छइ तिह तिह मुह -दसणु णिरु इच्छइ जिह जिह पिहुल-णियंवु णिरिक्खइ तिह तिह णीससंतु णउ थक्कइ . जिह जिह तिबलि-तिवलउ विहावइ तिह तिह जरु सेव्वंगिउ आवइ ४ जिह जिह निटि थणोवरि थक्का तिह तिह वम्मह-जलणु झुलुक्कइ जिह जिह पडिम कंछ दरिसावइ तिह तिह मुहहो ण काई विभावइ जिह जिह मुह-मयलंछणु छज्जइ तिह तिह महुमहु कह-वि ण लज्जइ जिह जिह हणइ णयण-णाराएहिं तिह तिह भज्जइ मयणुम्माएहिं ८ जिह जिह चिहुर-णिवंधणु जोयइ तिह तिह हरि संदेहहो ढोयइ दसमउं थाणु णाहिं ते चुक्कउ गं तो मरणावस्थहो ढुक्क घत्ता तं रुप्पिणि-रूवु णिरूवेवि वल-णारायण णीसरिय । धणु-लट्ठिहिं ढोइज्जंतिहि काम-सरहं विहिं अणुहरिय ॥ ९ [६] हरि-वलएव वे-वि गय तेत्तहे रुपिणि थिय णंदण-वणे जेत्तहे किर णाग-वलि धिवइ तरू-विदहो रहवरु दुक्कु ताव गोविंदहो मंदरु सुरेहि णाई संचालिउ घंटा-किकिणि-जाल-वमालिड गारुड-उंछण-लंछिय-धयवडु वर-णरवर-संगर-सिरि-लंपडु ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001426
Book TitleRitthnemichariyam Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages144
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size7 MB
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