________________
हरिवंसपुराणु कहइ महा-रिसि हरिसु वहंतउ आयउ कुंडिण-णयरहो होंतर जं महि-मंडले सयले पसिद्धउ बहु-धण-धण्ण-सुवण्ण-समिद्धउ ८ तेत्थु भिप्फु-णामेण पहाणउ णर-वरिंदु अमरिंद-समाणउ
घत्ता धवलच्छि लच्छ सहो गेहिणि पुत्तु रुपि रुपिणि तणय । णिहि रूव-लडह-लायण्णहं गुण-सोहग्गहं पारु गय ॥ ९
[३] जाहे अंगे परिवार-सहाएं मुक्कु पयाणउं वम्मह-राएं लीला-कमल-जुयल-चल-णयणेहिं मणि-रयणेहिं अंगुलियहि सयलेहिं ' तोरण-थंभ ऊरु-उद्देसेहिं राउलु विहुल-णियंव-पएसेहि तिवलि-ति-परिहउ णाही-मंडले थण-अहिसेय-कलस वच्छत्थले ४ रत्तासोय-करिल्ल करग्गेहि णह-दप्पण मयणंकुस-मग्गेहि . कंवुउ कंठे वयणे कोइल-कुलु। णयणेहिं वाथ-जुयलु पिच्छाउलु भएहिं चाव-लठि संचारिय सिर-सिहंडे सीगिरि वइसारिय किरि परिणेवो कामहो वर्षे किउ आवासु तेण कंदप्पे
घत्ता उवइट्ठ आसि सिसुपालहो ताव रिसिहि आएसु किउ । जसु सोलह गोवि-सहासई होसइ सो रुप्पिणिहे पिउ ॥९
[४] सो महु कहिउ सव्वु णिय-वइयरु जिह अइमुत्तउ आइउ जइवरु तहे उवएसु तासु फुडु लद्धउ हरि वरइत्तु पुत्तु मयरद्धउ तेहउ अवसरु होसइ कइयहुं करि लग्गइ णारायणु जइयर्ल्ड जाणमि महरिसि-क्यणु ण चुकइ जइ परमेसरु पुदवरु ढुक्कइ जहिं हर्ष पवरुनाणे णवल्लए सई लेविणु आवेसमि कल्लए ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org