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________________ महावीर की जीवन रेखाएँ ४३ आर्यां चन्दना था । आर्या चन्दना के गौरव गान से आज भी साहित्याकाश अनुगुंजित है । 10 भगवान् के समवसरण में स्त्रियों को भी पुरुषों के समान ही गौरवपूर्ण अधिकार था। हर कोई स्त्री समवसरण में आ सकती थी, भगवान् के दर्शन कर सकती थी, शंका - समाधान में भाग ले सकती थी । कोई भी ऐसी बाधा न थी, जिससे कि वह अपने मन मैं 'कुछ भी अपमान का अनुभव करे । ० भगवतीसूत्र में उल्लेख आता है कि- कौशाम्बी की राजकुमारी जयन्ती भगवान् से बड़े गंभीर प्रश्न पूछा करती थी, भगवान् से तर्क-वितर्क किया करती थी । दार्शनिकता से परिपूर्ण प्रश्नोत्तरी का वह प्रसंग आज भी भगवतीसूत्र में लिखा मिलता है, जो आज के महनीय विद्वानों को भी चमत्कृत कर देता है । स्त्री जाति का गौरव और स्वतन्त्र विचार - शक्ति का आभास आज भी हमें जैन साहित्य के पन्ने पलटने पर हर कहीं मिल सकता है । जन सेवा ही जिन सेवा : भगवान् महावीर बाह्याचार से संबन्धित धार्मिक क्रियाकांडों की अपेक्षा जीवनोपयोगी सहज क्रियाकलाप पर ही अधिक भार देते थे । वे उस जीवन को कोई महत्व न देते थे, जो जन सेवा से दूर रह कर ० - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001422
Book TitleMahavira Siddhanta aur Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1986
Total Pages172
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Discourse, N000, & N005
File Size6 MB
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