________________
३८ : महावीर : सिद्धान्त और उपदेश
यज्ञ - स्थल सूना हो गया । इन्द्रभूति गौतम बड़ा घमंडी विद्वान् था | वह अपने ५०० शिष्यों के साथ भगवान् महावीर से शास्त्रार्थ करने पहुँचा | भगवान ने युक्तिपुरःसर प्रवचनों से इन्द्रभूति गौतम को सत्य का रहस्य समझाया । इन्द्रभूति की आंखों के आगे से मानो अन्धकार दूर हो गया । वह उसी समय वहीं भगवान् के चरणों में अपने पाँच सो शिष्यों के साथ प्रव्रजित हो गया । यह इन्द्रभूति हमारे वही गौतम गणधर हैं, जिनके नाम को आज जैन समाज का बच्चा - बच्चा जानता है ।
*
इन्द्रभूति के प्रव्रजित होने का समाचार ज्यों ही नगर में पहुंचा, तहलका मच गया । बारी-बारी से शेष दस विद्वान् भी आते गए, शास्त्रार्थ करते गए, सत्य का वास्तविक स्वरूप समझते गए और अपनेअपने शिष्य - मंडल के साथ भगवान् के चरणों में प्रब्रजित होते गए। इस प्रकार एक दिन में ग्यारह विद्वानों और उनके चार हजार चार सौ शिष्यों को भगवान् ने जिन धर्म की मुनि दीक्षा दी । इन्द्रभूति गौतम आदि ग्यारह विद्वानों को गणधर पद पर नियुक्ति किया, जिसे उन्होंने अन्त तक बड़ी सफलता के साथ निभाया ।
०
Jain Education International For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org