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महावीर की जीवन-रेखाएँ : ३५
की शोध में रहे। ज्यों ही आत्म-प्रकाश पाया कि संसार को प्रकाश देने में जुट गए। कौन महापुरुष संसार को विनाश के गर्त में गिरता देखकर चुपचाप बैठा रह सकता है ? आराम के साथ जीवन विताना महापुरुष की परिभाषा नहीं है। महापुरुष की अनादिकाल से परीक्षित एवं प्रमाणित एक हो परिभाषा है और वह है--विश्वकल्याण के लिए संघर्ष संघर्ष सतत संघर्ष !
० भगवान ने कैवल्य प्राप्त करते ही तत्कालीन रूढ़ियों के विरोध में यथार्थ सत्य का शखनाद गुंजा दिया। सत्य का वास्तविक स्वरूप, जो पाखंडों के तमस में धुंधला पड़ गया था, फिर से यथार्थरूप में जनता के सामने रखा। जनता के विचारों में क्रान्ति का मंत्र फका। तो, इस तरह सोया हुआ मानवसंसार फिर से जागरण की अंगड़ाई ले कर उठ खड़ा हुआ।
० भगवान महावीर के धर्म प्रचार - क्षेत्र में आते ही धर्म - ध्वजी - वर्ग में हलचल मच गई। जिज्ञासुसंसार इस नवागन्तुक धर्म - गुरु की गति - विधि को देखने लगा कि यह क्या करने जा रहा है ? सत्य का प्रचार ज्यों-ज्यों आगे बढ़ता गया, त्यों - त्यों जिन
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