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महावीर की जीवन रेखाएँ : ११
महावीर ने संसार त्यागी भिक्षु होने का प्रस्ताव परिवार के सामने रखा । परन्तु, नंदीवर्द्धन के अत्याग्रह पर दो वर्ष और गृहस्थाश्रम में रहे, और इस प्रकार महावीर ने कुल ३० वर्ष का जीवन गृहस्थ- दशा में बिताया ।
वैराग्य की ओर
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भगवान् महावीर ने राजकुमार अवस्था में प्रजा की भलाई के लिए बहुत कुछ योग्य प्रयत्न किए। युवावस्था में पदार्पण करने के साथ ज्यों ही तत्कालीन सामाजिक एवं धार्मिक अव्यवस्था का ताण्डव नृत्य देखा, आपका कोमल हृदय चर चर हो गया । आपने राज-शासन के द्वारा सामाजिक क्षेत्र में सुव्यवस्था लाने का प्रयत्न किया, परन्तु अन्ततः आपने देखा कि राज-शासन जैसी चाहिए, वैसी सुव्यवस्था की स्थापना में पूर्णतः सफल नहीं हो सकेगा ।
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वास्तव में देखा जाए, तो राज्य शासन और धर्म - शासन दोनों का ही मुख्य उद्देश्य जनता को सन्मार्ग पर ले जाना है । परन्तु राज शासन के अधिनायक अधिकतर मोह मायाग्रस्त व्यक्ति होते हैं, अतः वे समाज - सुधार के कार्य में पूर्णतया सफल नहीं हो पाते । भला, जो जिस विकार वृत्ति को अपने हृदयतल से नहीं मिटा सका, वह दूसरे हजारों हृदयों से उसे कैसे मिटा सकता है ? राजशासन की आधारशिला प्रेम, स्नेह एवं सद्भाव की भूमि पर नहीं रखी जाती । वह रखी जाती है, प्रायः भय, आतंक और दमन की नींव पर । यही कारण है कि राजशासन प्रजा में
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