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महावीर की जीवन-रेखाएं : ६
और, सवसे बड़ा अजेय बल अभय ही तो है। अभय के क्षणों में छोटा-से-छोटा नगण्य प्रयोग भी व्यक्ति को विजेता बना देता है। . राजकुमार महावीर तन और मन दोनों के बली थे। यही कारण है कि उनके समक्ष क्या आसुरी, क्या देवी, क्या मानवी, सभी विरोधी शक्तियाँ अन्ततः पराजित होगई। ० महापुरुष पूर्व जन्म से ही दिव्य - संस्कार ले कर आते हैं। उनका जीवन कई जन्मों से बनता-संवरता अन्तिम जन्म में जा कर पूर्ण होता है। अस्तु, महावीर प्रारम्भ से ही दयालु, नीतिमान और मुमुक्ष प्रकृति के थे। आप जब कभी एकान्त पाते, चिन्तन में लीन हो जाते और घण्टों ही वहीं एकान्त में आध्यात्मिक विचार-सागर में डुबकियाँ लगाते रहते । ० राजा सिद्धार्थ महावीर की इस चिन्तनशील प्रकृति से डरते थे कि कहीं राजकुमार वैराग्य की दशा में न चला जाए ? फलतः 'समरवीर' राजा की सुपुत्री 'यशोदा' के साथ-जो अपने समय की अनिंद्य सुन्दरी थी, शीघ्र ही महावीर का विवाह कर दिया गया। ० महावीर विवाह के लिए प्रस्तुत नहीं हो रहे थे। वे अपने निश्चित लक्ष्य पर सीधे जाना चाहते थे, परन्तु पिता के आग्रह और माता के हठ ने उन्हें विवाह के लिए मजबूर कर दिया। महावीर माता-पिता के अनन्य भक्त थे, अतः माता-पिता के स्नेही हृदय को जरा भी ठेस पहुँचाना, महाघोर का भावुक हृदय, स्वीकार न कर सका।
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