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४ : महावीर : सिद्धान्त और उपदेश
मगध में सूर्योदय ० आज का बिहारप्रान्त महापुरुषों को जन्म देने की दृष्टि से सदा ही गौरवशाली रहा है। अनेक महापुरुषों ने इस पुण्य-भूमि में जन्म लिया है, सत्य का प्रचार-प्रसार किया है, सुप्त जनता को जगाया है, प्राण दान देकर भारत के गौरव को अक्षुण्ण रखा है।
० हाँ तो इसी पुण्यभूमि में वह सूर्य उदय हुआ था, जिसकी ओर ऊपर की पंक्तियों में संकेत कर दिया गया है। वह सूर्य और कोई नहीं, हमारे अराध्यदेव श्रमण भगवान् महावीर ही हैं, जिनके दिव्य जन्म से एक दिन यह भारत - भूमि जगमगा उठी थी।
० आज से करीब २६ शताब्दी पहले की बात है। भारत के बिहारप्रान्त में 'वैशाली' का ही एक भाग 'क्षत्रियकुण्ड' नगर था। पुरातत्त्व-वेत्ताओं के मत से गंगा के उस पार उत्तरी बिहार में गंडकी नदी के तट पर, जहाँ आज बसाढ गाँव बसा हुआ है, वहीं क्षत्रिय-कुण्ड ग्राम की अवस्थिति रही है।
० क्षत्रियकुण्ड ग्राम ज्ञात वंशीय क्षत्रियों का प्रधान केन्द्र था । एक प्रकार से यह ज्ञातक्षत्रियों की एक छोटी-सी राजधानी ही थी। वहां ज्ञातक्षत्रियों के राजा श्रीसिद्वार्थ शासन करते थे। इनकी रानी प्रियकारिणी 'त्रिशला' थी, जो वज्जी गणतन्त्र के प्रमुख वैशाली-नरेश चेटक की बहन थी।
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