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१४० : महावीर : सिद्धान्त और उपदेश
सव्वारंभ-परिच्चाओ, निम्ममत्तं सुदुक्करं ।
- उत्तराध्ययन
अवि अप्पणो पि देहम्मि, नाऽऽयरंति ममाईयं । .
-- दशवकालिक
सुवण्ण-रूवस्स उ पव्वया भवे । सिया हु केलाससमा असंखया । नरस्स लुद्धस्स न तेहि किंचि, इच्छा हु आगाससमा अणंतिया ।
- उत्तराध्ययनसूत्र : १० : ममत्तभावं न कहिंपि कुज्जा।
- दशवकालिक चर्णि
जहा लाहो तहा लोहो, लाहा लोहो पवड्ढइ
- उत्तराध्ययन
तण्हा या जस्स न होइ लोहो। कोहो हओ जस्स न किवणाइ॥
-- उत्तराध्ययन
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