________________ 126 : महावीर : सिद्धान्त और उपदेश जीव - वहो अप्प - वहो, जीव - दया अप्प-दया होइ। ता सव्व जीव - हिंसा, परिचत्ता अत्तकम्मेहिं / / भक्त - परिज्ञा भगवती अहिंसा....."भीयाणं विव सरणं / --प्रश्नध्याकरणसूत्र जं किंचि सुहमुआरं पहुत्तणं पयइ - सुदरं जं च / आरुग्णं सोहग्गं, तं तमहिंसा - फलं सव्वं / / ... - भक्त . प्ररिज्ञा सव्वपाणा न हीलियम्वा, न निदियव्बा -प्रश्नव्याकरणसूत्र तंग न मंदराओ, आगासाओ विसालयं नत्थि / जह तह जयम्मि जाणसु, धम्ममहिंसा-समं नत्थि / / ... . भक्त * परिज्ञा जइ ते ने पिअंदुक्खं, जाणिअ एमेव सध्व-जीवाणं / सच्वायरमुवउत्तो, अत्तोवम्मेण कुणसु दयं // .. . .... - भक्त-परिज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org