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१२४ : महावीर : सिद्धान्त और उपदेश
अहिंसा
जह मम न पियं दुक्खं, जाणिय एमेव सव्वजीवाणं ।
- अनुयोगद्वारसूत्र
अहिंसा सब्वभूय - खेमंकरी।
___ - प्रश्नव्याकरणसूत्र
एवं ख नाणिणो सारं, जं न हिंसइ किंवण । अहिंसा - समयं चेव, एयावन्तं वियाणिया ॥
-सूत्रकृतांग
अप्पसमं मनिज्ज छप्पिकाए।
- उत्तराध्ययन
वेराई कुव्वइ वेरी, तओ वेरेहिं रज्जइ । पावोवग्गा य आरंभा, दुक्खफासा य अंतसो ।
-~~ सूत्रकृतांग
सव्वे पाणा सुहसाया दुहपडिकूला। सञ्चेसिं जीवियं पियं नाइवाएज्ज कंचण ।
___ --आचारांग
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