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११८ : महावीर : सिद्धान्त और उपदेश
कर्मवाद :
जमिणं जगई पुढो जगा, कम्मेहि लुप्पन्ति पाणिणो । सयमेव कडे हि गाहइ, नो तस्स मुच्चेज्ज पुट्टयं ।।
-- सूत्रकृतांग
सकम्मुणा विपरियासमुवेइ ।
- सूत्रकृतांग
सब्बे सयकम्मकप्पिया, अवियत्तण दुहेण पाणिणो । हिंडंति भयाउला सदा, जाइ-जरा-मरणे हिभिया ।
---- सूत्रकृतांग
___ तेणे जहा संधिमुहे गहीए, सकम्मुणा किच्चई पावकारी। एवं पया पेच्च इहं च लोए, कडाण कम्माण न मोक्ख अत्थि।
- उत्तराध्ययन
अप्पणा चेव उदीरेइ, अप्पणा चेव गरहह । अप्पणा चेव संवरइ ।
--- भगवतीसूत्र
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