________________
११६ : महावीर : सिद्धान्त और उपदेश
एगमप्पाणं संपेहाए घणे सरोरगं ।
-- आचारांग
: १६ :: नो इंदियगेज्म अमुत्तभावा अमुत्तभावाविव छोइ निच्चो
-- उत्तराध्ययन
अन्नो जीवो अन्नं सरीरं
- सूत्रकृतांग : २१ : एगप्पा अजिए सत्तू।
'--- उत्तराध्ययन
: २२ : सरीरमाहु नावत्ति, जीवो उच्चई नाविओ। संसारो अण्णवो वुत्तो, जं तरंति महेसिणो ।
-- उत्तराध्ययन
एगे आया।
___ -- स्नानांगसूत्र
: २४ : हत्थिस्स य कुंथुस्स य समे व जीवो।
-~~ भगवतीसूत्र : २५ : जीवा सिय सासया, सिय असासया । दवठ्याए सासया, भावठ्ठयाए असासया ।
- भगवती सूत्र
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org