________________
महावीर के सिद्धान्त : ८६
ही छिपा हुआ होता है। काल कहता है कि समय आने पर ही सब कार्य होते हैं। परन्तु, उस समय में भी यदि पुरुषार्थ न हो, तो क्या वह कार्य हो जाएगा? आम की गुठली में आम पैदा करने का स्वभाव है, परन्तु क्या बिना पुरुषार्थ के यों ही कोठे में रखी हुई गुठली में से आम का पेड़ लग जाएगा ? कर्म का फल भी क्या बिना पुरुषार्थ के यों ही हाथ-पर-हाथ धर कर बैठे हुए मिल जाएगा ? संसार में मनुष्य ने जो भी उन्नति की है, वह अपने प्रबल पुरुषार्य के द्वारा ही की है। आज का मनुष्य हवा में उड़ रहा है, परमाणु बम जैसे महान् आविष्कार करने में सफल हो रहा है, यह सव मनुष्य का अपना पुरुषार्थ नहीं तो क्या है ? एक मनुष्य भूखा है, कई दिनों का भूखा है। कोई दयालु सज्जन मिठाई का थाल भर कर सामने रख देता है, वह नहीं खाता है। मिठाई लेकर मुह में डाल देता है, फिर भी नहीं चबाता है और गले के नीचे नहीं उतारता है। अब कहिए, बिना पुरुषार्थ के क्या होगा? क्या यों ही भूख बुझ जाएगी। आखिर मुह में डाली हई मिठाई को चबाने का, और चबा कर गले के नीचे उतारने का पुरुषार्थ तो करना ही होगा। सोये हुए सिंह के मुख में हिरन अपने आप आ कर नहीं पड़ते हैं। तभी कहा है
"पुरुष हो, पुरुषार्थ करो उठो !".
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org