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________________ भ० महावीर की अमर देन : समन्वय भारतवर्ष में दोर्शनिक विचारधारा का जितना विकास हुआ है, उतनी अभ्यंत्र नहीं हआ । भारतवर्ष दर्शन की जन्मभूमि है। यहाँ भिन्न - भिन्न दर्शनों के भिन्न - भिन्न विचार बिना किसी प्रतिबन्ध और नियंत्रण के फलसे - फलते रहे हैं। यदि भारत के सभी पुराने दर्शनों का परिचय दिया जाए, तो एक बहत विस्तृत ग्रन्थ हो जाएगा। अंतः यहाँ विस्तार में म जा कर संक्षेप में ही भारत के बहुत पुराने पाँच दार्शनिक विचारों का परिचय दिया जाता है। भगवान् महाबीर के समय में भी इन दर्शनों का अस्तित्व था। और आज भी वहुत से लोग इन दर्शनों का विचार रखते हैं। १. कालबाट, २. स्वभाववाद, ३. कर्मवाद, ४. पुरुषार्थवाद ५. और नियतिवाद । उक्त पाँच दर्शनों में ही प्रायः समग्र दर्शनों का अन्तर्भाव हो जाता है। इन पाँचों दर्शनों का आपस में भयंकर संघर्ष है और प्रत्येक परस्परे में एक - दूसरे का खण्डन कर केवल अपने ही द्वारा कार्य सिद्ध होने का दावा करता है। कालवाद यह दर्शन बहुत पुराना है। कालवाद काल को ही सबसे बड़ा महत्त्व देता है। कालवाद का कहना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001422
Book TitleMahavira Siddhanta aur Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1986
Total Pages172
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Discourse, N000, & N005
File Size6 MB
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