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जैनदर्शन में सम्यग्दर्शन मतिज्ञान केवलज्ञान 'षड्दर्शन' तो केवल उपलक्षण है, उस से जगत् के सभी दर्शन समझना चाहिए। अनेकान्तवादी जैनों को किसी भी दर्शन का चाहे वह चार्वाक या कार्ल मार्क्स का भौतिकवादी दर्शन ही क्यों न हो उसका अनादर नहीं करना चाहिए।
श्रद्धा (सम्यग्दर्शन) चार आध्यात्मिक सोपान
उपनिषद्विद्या अध्यात्मविद्या है। उसी प्रकार, बौद्ध और जैन धर्म-दर्शन भी प्रधानतः अध्यात्मविद्या है। तीनों में आध्यात्मिक साधना के उपर बल दिया गया है। उपनिषदों में आध्यात्मिक साधना के चार सोपान इस प्रकार हैं-दर्शन, श्रवण, मनन
और निदिध्यासन (ध्यान-विज्ञान) । आत्मा वा अरे द्रष्टव्यः श्रोतव्यः मन्तव्यः निदिध्यासितव्यः (बृहदारण्यक उपनिषद् २.४.५) । यहाँ 'दर्शन' शब्द का अर्थ 'श्रद्धा' है। छान्दोग्य उपनिषद् (७.१८-१९) में कहा गया है : नामत्वा विजानाति, मत्वैव विजानाति...नाश्रद्दधन् मनुते श्रद्दधदेव मनुते...अर्थात् मनन के बिना विज्ञान सम्भव नहीं है और श्रद्धा के बिना मनन सम्भव नहीं है। इस प्रकार यहाँ श्रद्धा, मनन और विज्ञान तीन क्रमिक सोपान बताये गये हैं। पश्चात् इसी उपनिषद् (७.२५) में महत्त्वपूर्ण वाक्यखंड आता है : ‘एवं पश्यन् एवं मन्वान एवं विजानन्' । यहाँ स्पष्टतः दर्शन, मनन और विज्ञान ये तीनों क्रमिक सोपानों का उल्लेख है। दोनों त्रिकों के निरीक्षण से स्पष्ट हो जाता है कि दोनों त्रिक जिन तीन सोपानों का निर्देश करते हैं वे एक ही हैं। प्रथम त्रिकमें जिस सोपान के लिए 'श्रद्धा' शब्द प्रयुक्त है, उसी ही सोपान के लिए द्वितीय त्रिक में 'दर्शन' शब्द प्रयुक्त है। यह निर्णयात्मक रूप से दिखाता है कि उक्त चार सोपानों में से प्रथम सोपान दर्शन श्रद्धा ही है। परन्तु टीकाकार और आधुनिक विद्वान गलती करते हैं जब वे यहाँ 'दर्शन' शब्द का अर्थ साक्षात्कार' करते हैं और कहते हैं कि आत्मसाक्षात्कार करना चाहिए, जो आत्मसाक्षात्कार के उपाय हैंश्रवण, मनन और ध्यान । विवरणप्रमेयसङ्ग्रह का निम्न श्लोक इसका उदाहरण है।
श्रोतव्यः श्रुतिवाक्येभ्य: मन्तव्यश्चोपपत्तिभिः ।
मत्वा च सततं ध्येयः एते दर्शनहेतवः ॥ बौद्ध धर्म-दर्शन भी इन चार आध्यात्मिक सोपानों का स्वीकार करता हुआ प्रतीत होता है। मज्झिमनिकाय (१.१३६) में ऐसा वाक्य आता है : यं पिदं दिळं सुतं मुतं विज्ञातं पत्तं...मनसा तं पि नेतं मम, नेसोहं अस्मि, न मेसो अत्ता ति । यहाँ उपनिषद् निरूपित दर्शन, श्रवण, मनन और विज्ञान का उल्लेख है। यह वाक्य प्रदर्शित
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