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________________ गी० ३५-३८ ] सुत्तसमुत्तिणा पंचसु च ऊणवीसा अट्ठारस चदुसु होंति बोद्धव्वा । चोइस बसु पयडीसु य तेरसयं छक्क पणगम्हि ||३५|| पंच चक्के वारस एक्कारस पंचगे तिग चउक्के | दसगं चक्क पणगे णवगं च तिगम्हि बोद्धव्वा ॥ ३६ ॥ अट्ठ दुग तिग चक्के सत्त चक्के तिगे च बोद्धव्वा । छक्कं दुगम्हि णयमा पंच तिगे एक्कग दुगे वा ॥ ३७॥ चत्तारि ति चदुक्के तिरिए तिगे एक्कगे च बोद्धव्वा । दो दुसु गाए वा एगा एगाए बोद्धव्या ॥ ३८ ॥ उन्नीस प्रकृतिक संक्रमस्थानका पांच प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानमें, अठारह प्रकृतिक संक्रमस्थानका चारप्रकृतिक प्रतिग्रहस्थान में, चौदहप्रकृतिक संक्रमस्थानका छह प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानमें और तेरहप्रकृतिक संक्रमस्थानका छह और पाँच प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानोंमें संक्रम होता है ऐसा जानना चाहिये || ३५ || M वारकृतिक संक्रमस्थानका पाँच और चार प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानों में, ग्यारह प्रकृतिक संक्रमस्थानका पाँच, तीन और चार प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानोंमें, दसप्रकृतिक संक्रमस्थानका चार और पाँच प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानोंमें तथा नौप्रकृतिक संक्रमस्थानका तीनप्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानमें संक्रम होता है ऐसा जानना चाहिये || ३६ || आठप्रकृतिक संक्रमस्थानका दो, तीन और चारप्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानोंमें, सातप्रकृतिक संक्रमस्थानका चार और तीन प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानों में, छहप्रकृतिक संक्रमस्थानका नियमसे दोप्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानमें तथा पाँचप्रकृतिक संक्रमस्थानका तीन, एक और दो प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानों में संक्रम होता है ऐसा जानना चाहिये ||३७|| चारप्रकृतिक संक्रमस्थानका तीन और चार प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानोंमें, तीन प्रकृतिक संक्रमस्थानका तीन और एक प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानोंमें, दोप्रकृतिक संक्रमस्थानका दो और एक प्रकृतिक प्रतिग्रहस्थानोंमें तथा एकप्रकृतिक संक्रमस्थानका एकप्रकृतिक प्रतिग्रहस्थान में संक्रम होता है ऐसा जानना चाहिये || ३८ || १. कर्मप्रकृति संक्रम गा० १८ । २. कर्मप्रकृति संक्रम गा० १९ । ३. कर्मप्रकृति संक्रम गा० २० । ४. कर्मप्रकृति संकम गा० २१ | Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001414
Book TitleKasaypahudam Part 08
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages442
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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