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गा० ५८ ]
उत्तरपयडिट्ठिदिसंकमे अद्धाच्छेदो ६१८. खवयस्स चरिमट्ठिदिबंधचरिमफालिसंकमणावत्थाए तदुवलंभादो । कुदो अंतोमुहुत्तूणत्तं ? ण, आबाहाबाहिरस्सेव णवकबंधस्स तत्थ संकंतीए तणत्ताविरोहादो।
® माणसंजलणस्स जहण्णहिदिसंकमो मासो अंतोमुहुत्तूणो । ६१९. सुगमं । ® मायासंजलणस्स जहएणहिदिसंकमो अद्धमासो अंतोमुहत्तणो । ६६२०. सुगमं ।
® पुरिसवेदस्स जहएणढिदिसंकमो अह वस्साणि अंतोमुहुत्तणाणि । ६ ६२१. सुगमं ।
* छण्णोकसायाणं जहएणट्ठिदिसंकमो संखेजाणि वस्साणि । 5 ६२२. कुदो ? तेसिं चरिमट्ठिदिखंडयायामस्स तप्पमाणत्तादो । एवमोघेण अट्ठावीसमोहपयडीणं जहण्णट्ठिदिसंकमद्धाच्छेदं परूविय संपहि आदेसपरूवणाए वीजपडिभूदमुवरिमसुत्तमाह
* गदीसु अणुमग्गियव्यो ।
६६१८. क्योंकि क्षपक जीवके अन्तिम स्थितिबन्धकी अन्तिम फालिका संक्रम होनेकी अवस्थामें यह अद्धाच्छेद पाया जाता है।
शंका-इसे दो महीनासे अन्तर्मुहूर्त कम क्यों बतलाया है ?
समाधान नहीं, क्योंकि आबाधाकालके बाहरके नवकबन्धका ही वहां संक्रम होता है, इसलिये इसे दो महीनासे अन्तमुहूर्त कम कहने में कोई विरोध नहीं आता है।
* मानसंज्वलनका जघन्य स्थितिसिंक्रमअद्धाच्छेद अन्तर्मुहूर्त कम एक महीना है। ६ ६१६. यह सूत्र सुगम है।
* मायासंज्वलनका जघन्य स्थितिसंक्रमअद्धाच्छेद अन्तर्मुहूर्त कम आधा महीना है।
६६२०. यह सूत्र सुगम है। * पुरुषवेदका जघन्य स्थितिसंक्रमअद्धाच्छेद संख्यात वर्ष है । ६ ६२१. यह सूत्र सुगम है। * छह नोकषायोंका जघन्य स्थितिसंक्रमअद्धाच्छेद संख्यात वर्ष है ।
६६२२. क्योंकि इनके अन्तिम स्थितिकाण्डकका आयाम संख्यात वर्षप्रमाण ही पाया जाता है। इस प्रकार ओघसे मोहनीयकी अट्ठाईस प्रकृतियोंके जघन्य स्थितिसंक्रमअद्धाच्छेदका कथन करके अब आदेशप्ररूपणा के बीजभूत आगेका सूत्र कहते हैं____ * चारों गतियोंमें जघन्य स्थितिसंक्रमअद्धाच्छेदका विचार कर लेना चाहिए।
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