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________________ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ बंधगो ६ णिव्वाघादेण उक्कस्सिया अइच्छावणा विसेसाहिया। ६५१६. केत्तियमेत्तेण ? समयाहियदुभागमेत्तेण । * वाघादेण उक्कस्सिया अइच्छावणा असंखेजगुणा । ६५१७. कुदो ? अंतोकोडाकोडीपरिहीणकम्मट्ठिदिपमाणत्तादो । 8 उक्कस्सयं द्विदिखंडयं विसेसाहियं । . . ६५१८. अग्गद्विदीए वि एत्थ पवेसदसणादो। * उक्कम्सो णिक्खेवो विसेसाहिो। ५१९. कुदो ? उक्कस्सद्विदि बंघिय बंधावलियं वोलाविय अग्गट्ठिदिमोकड्डिऊणावलियमेत्तमइच्छाविय उदयपजंतं णिक्खिवमाणस्स समयाहियदोआवलियूणकम्मद्विदिमेत्तुक्कस्सणिक्खेवसंभवोवलंभादो । * उकस्सो द्विदिबंधो विसेसाहिो । इस उदाहरणसे स्पष्ट हो जाता है कि जघन्य निक्षेपको दूना करने पर जो १२ प्राप्त हुआ है उसमेंसे २ कम करने पर जघन्य अतिस्थापना होती है। * उससे निर्व्याघातसे प्राप्त हुई उत्कृष्ट अतिस्थापना विशेष अधिक है। ६५१६. कितनी अधिक है ? जघन्य अतिस्थापनाके द्वितीय भाग अर्थात् आधेमें एक समयके जोड़ देने पर जितना प्रमाण हो उतनी अधिक है। . उदाहरण-जघन्य अतिस्थापना १०; उसका आधा ५; ५+१= ६, १०+६= १६ उत्कृष्ट अतिस्थापना । * उससे व्याघातविषयक उत्कृष्ट अतिस्थापना असंख्यातगुणी है। ' $ ५१७. क्योंकि इसका प्रमाण अन्तःकोडाकोडीकम कर्मस्थितिप्रमाण है। उदाहरण-असंख्यात २५६, १६४२५६ = ४०६६ व्याघातसे प्राप्त हुई उत्कृष्ट अतिस्थापना । * उससे उत्कृष्ट स्थितिकाण्डक विशेष अधिक है। ५१८. क्योंकि इसमें अप्रस्थितिका भी अन्तर्भाव देखा जाता है। उदाहरण-४०६६-१-१ अग्रस्थिति = ४०६७ उत्कृष्ट स्थितिकाण्डक । * उससे उत्कृष्ट निक्षेप विशेष अधिक है। . ६५१६. क्योंकि उत्कृष्ट स्थितिको बाँधकर और बन्धावलिको विताकर फिर अग्रस्थितिका अपकर्षण करके अतिस्थापनाकी एक आवलिको छोड़कर उदय पर्यन्त उस अपकर्षित द्रव्यका निक्षेप करनेवाले जीवके उत्कृष्ट निक्षेपका प्रमाण एक समय अधिक दो आवलिसे न्यून कर्मस्थितिप्रमाण उपलब्ध होता है। उदाहरण-कर्मस्थिति ४८००; एक समय अधिक दो आवलि ३३; ४८००-३३ = ४७६७ उत्कृष्ट निक्षेप । * उससे उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001414
Book TitleKasaypahudam Part 08
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages442
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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