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गा० २२]
पदेसविहत्तीए हिदियचूलियाए सामित्तं
अहियणिसेयादो दुगुणमेत्तं जादमिदि सिद्धं ओकड्ड कड्डणभागहारवेतिभागाणं गुणहाणिद्वाणंतरतं । एनियमेते गुणहाणिअद्धाणे संते सिद्धी सुतपरूविदो गुणगारो, सन्वदव्वे पढमणिसेयपमाणेण समकरणे कदे समुप्पण्णदिवढगुणहाणिगुणया रस्स पुण्णोकड कणभागहारपमाणत्तदंसणादो ।
९६३८. एवमेत्तिएण पबंधेण उक्कस्सअधाणिसेयद्विदिपत्तयस्स पमाणं जाणाविय संपहि तदुक्कस्ससामित्तपरूवणद्वमुत्तरमुत्तपबंधो—
* इदाणिमुक्कस्सयमधाणिसेयहिदिपत्तयं कस्स ? 8 ६३६. एवं निदरिसणपरूवणाए णिसेयद्विदिपत्तयं कस्से ति पुव्वपुच्छाए अणुसंधाणमुत्तमेदं ।
* सत्तमा पुढवीए रइयस्स जत्तियमधाणिसेय द्विदिपत्तयमुक्कस्सयं तत्तो विसेसुत्तरकालमुबवण्णो जो णेरइओ तस्स जहणेण उक्कस्सयमधाणि सेयद्विदिपत्तयं ।
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सव्वमवहारिदसरूवमुकस्सयमधा
$ ६४०, एदस्स सुत्तस्सत्थो बुच्चदे - तमुक्कस्सयमधाणिसेयद्विदिपत्तयं सत्तमाए पुढवीए रइयस्स होइ ति पदसंबंधो। सेसगइजीवपरिहारेण सत्तमपुढविणेरइयस्सेव सामित्तं किमड कीरदे ! ण, सेसईसु संकिलेसविसोहीहि णिज्जराबहुत्तं पेक्खिय
द्रव्य होता है । किन्तु यह मूल द्रव्य के साथ अधिकृत निषेकसे दूना हो गया है, इसलिए अपकर्षणउत्कर्ष भागहारके दो बटे तीन भागोंका गुणहानिस्थानान्तर सिद्ध हुआ । इतने मात्र गुणानिध्वान रहते हुए सूत्रमें कहा गया गुणकार सिद्ध हुआ, क्योंकि सब द्रव्यके प्रथम निषेकके प्रमाणसे समीकरण करने पर उत्पन्न हुआ डेढ़ गुणहानिप्रमाण गुणकार सम्पूर्ण अपकर्षण- उत्कर्षंणभागहार के प्रमाणरूप से देखा जाता है ।
६ ६३८. इस प्रकार इतने कथन के द्वारा उत्कृष्ट यथानिषेकस्थितिप्राप्तका प्रमाण जताकर अब उसके उत्कृष्ट स्वामित्वका कथन करनेके लिए आगे सूत्रोंकी रचना बतलाते हैं* अब उत्कृष्ट यथानिषेकस्थितिप्राप्तका स्वामी कौन है ?
६६३६. इस प्रकार उदाहरणके कथन द्वारा जिसके पूरे स्वरूपका निश्चय कर लिया है और जिसके उत्कृष्ट स्वामित्व के विषय में पहले पृच्छा कर आये हैं अब उसी उत्कृष्ट यथानिषेकस्थितिप्राप्तके स्वामित्वका अनुसन्धान करनेके लिये यह सूत्र आया है
* सातवीं पृथिवीके नारकीके उत्कृष्ट यथानिषेकस्थितिप्राप्तका जितना काल है उससे विशेष अधिक कालके साथ जो नारकी उत्पन्न हुआ है वह उस यथानिषेकके जघन्य कालके अन्तमें उत्कृष्ट यथानिषेकस्थितिप्राप्तका स्वामी है ।
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६४०. अब इस सूत्र का अर्थ कहते हैं - वह उत्कृष्ट यथानिषेकस्थितिप्राप्त द्रव्य सातवीं पृथिवी नारकी के होता है ऐसा यहाँ पदोंका सम्बन्ध कर लेना चाहिये ।
शंका –शेष गतिके जीवोंको छोड़कर सातवीं पृथिवीके नारकीको ही स्वामी क्यों बतलाया है ?
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