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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ पदेसविहत्ती ५ तिरूवूणचढिददाणसंकलणासंकलणामेत्ता च तप्पक्खेवा उप्पाएयव्वा, तेसिं चेव पहाणतादो ।
६३७. संपहि पढमणिसेयमस्सियण चरिमणिसेयादो बिसेसपमाणपरिक्खा कीरदे । तत्थ ताव रूवूणोकड्ड कड्डणभागहारवेतिभागमेत्ता पक्खेवा लब्भंति । ते च एदे
१ । संपहि एत्थ जइ ओकड्ड कड्डणभागहारतिभागमेत्ता पक्खेवा अत्थि तो एदं चरिमणिसेयपमाणं पावइ । तदो तेसिमुप्पायणविहिं वत्तइस्सामो । चडिददाणसंकलणमेत्ता पक्खेवपक्खेवा वि एत्थथि त्ति ६२६२ एवमेदे आणिय पक्खेवपमाणेण
कदे ओकडुक्कडणभागहारवेणवभागमेत्ता पक्खेवा होति । ०६/२ । एत्थ जइ
ओकड्डुक्कड्डणभागहारस्स णवभागमेत्ता पक्खेवा होति तो एदे तस्स तिभागमेत्ता पक्खेवा जायंति। ते पुण तिरूवृणोकडकड्डणभागहारवेतिभागसंकलणासंकलणमेत्ततप्पक्खेवे आदि कादूण सेसखंडे अवलंबिय आणेयव्वा । पुणो ते आणिय पुबिल्लोकड्ड कड्डणभागहारवेणवभागमेत्तयक्खेवाणमुवरि पक्विविय लद्धकिंचूणतत्तिभागमेत्ते पक्खेवे घेत्तण पुनपरूविदोकड्ड कड्डणभागहारवेतिभागमेतपक्खेवाणमुवरि पक्खित्ते जहण्णणिसेयपमाणं पढमणिसे यमस्सियूण अहियदव्वं होइ । एदं च मूलदव्वेण सह प्रक्षेपप्रक्षेप, तीन कम ऊपर गये हुए अध्वानके संकलनासंकलनप्रमाण तत्प्रक्षेप उत्पन्न करने चाहिये, क्योंकि यहाँ उनकी ही प्रधानता है।
६६३७. अब प्रथम निषेकमें अन्तिम निषेकसे जितना अधिक द्रव्य है उसके प्रमाणका विचार करते हैं। वहाँ एक अपकर्षण-उत्कर्षण भागहारके दो बटे तीन भागप्रमाण प्रक्षेप प्राप्त होते हैं। वे ये हैं- २ । अब यहाँ पर यदि अपकर्षण-उत्कर्षण भागहारके तीसरे भागप्रमाण प्रक्षेप प्राप्त होते हैं तो यह अन्तिम निषेकके प्रमाणको प्राप्त होता है, इसलिये उनके उत्पन्न करनेकी विधि बतलाते हैं-जितना अध्वान आगे गये हैं उनके संकलनमात्र प्रक्षेपप्रक्षेप भी यहाँ पर हैं इसलिए ६३६२ इस प्रकार इन्हें लाकर प्रक्षेपके प्रमाणसे करने पर अपकर्षणउत्कर्षण भागहारके दो बटे नौ भागप्रमाण प्रक्षेप होते हैं • ६२ । यहाँ पर यद्यपि अपकर्षणउत्कर्षण भागहारके नौ भागप्रमाण प्रक्षेप होते हैं तो ये उसके त्रिभागमात्र प्रक्षेप हो जाते हैं। परन्तु वे तीन रूप कम अपकर्षण-उत्कर्षणभागहारके दो बटे तीन भागके संकलनासंकलनप्रमाण तत्प्रेक्षेपोंसे लेकर शेष खण्डोंका अवलम्बन करके ले आने चाहिए। पुनः उन्हें लाकर पूर्वोक्त अपकर्षण-उत्कर्षणभागहारके दो बटे नौ भागप्रमाण प्रक्षेपोंके ऊपर प्रक्षिप्त करके लब्ध हुए उसके कुछ कम त्रिभागमात्र प्रक्षेपोंको ग्रहण करके पहले कहे गये अपकर्षण-उत्कर्षण भागहारके दो बटे तीन भागप्रमाण प्रक्षेपोंके ऊपर प्रक्षिप्त करनेपर प्रथम निषेकके आश्रयसे जघन्य निषेकप्रमाण अधिक
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