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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पदेसविहत्ती ५ गंतूणेगसमयपबद्धपडिबद्धक्कस्सजहाणिसैयद्धपमाणं चेहदि । एदं चेव एयगुणहाणिपमाणमिदि घेत्तव्वं । एवमुवरि वि सव्वत्थोकड्ड क्कड्डणभागहारं णिसेयभागहारं काऊण णेदव्बं जाव जहाणिसेयकालपढमसमओ ति । पुणो पुव्वं व सव्वदव्वे पढमणिसेयपमाणेण कदे ओकड कड्डणभागहारस्स तिण्णिचउभागमेत्ता पढमणिसेया होति । एत्थ वि गुणगारो सुत्तत्तपमाणे ण जादो तम्हा मुत्तुत्तगुणगारुप्पायणहमेत्योकडकड्डणमागहारस्स वेतिभागमेतं गुणहाणिअद्धाणमिदि घेत्तव्वं ।
६३५. संपहि एदस्स गुणहाणिअद्धाणस्स साहणमिमा परूवणा कीरदे । तं जहा–जहाणिसेयपढमगुणहाणिपढमणिसेयप्पहुडि हेडा जहाकमं जहाणिसेयगोपुच्छपती रचेयव्वा जाव ओकडुक्कड्डणभागहारवेतिभागमेत्तद्धाणमोयरिय हिदगोवुच्छा त्ति । एदं चेव एयगुणहाणिहाणंतरं । एवं विरचिदपढमगुणहाणिदव्वे णिसेयं पडि चरिमगोवुच्छपमाणं मोत्तूण सेसमहियदव्वं घेत्तृण पुध हवेयव्वं । एवं ठविदअहियदव्वपमाणगवेसणं कस्सामो । तत्थ ताव चरिमणिसेयादो अंणतरोवरिमगोवुच्छा एयपक्खेवमेत्तेण अहिया होइ । तस्स पमाणं केत्तियं ? जहण्णणिसेयस्स संखेजदिभागमेत्तं । तस्स को पडिभागो ? रूवूणोकड कड्डणभागहारो ? तं पि कुदो ? एकवारजितना प्रमाण है उससे अर्धभागप्रमाण स्थान जाकर एक समयप्रबद्धसे प्रतिबद्ध उत्कृष्ट यथानिषेकका प्रमाण आधा प्राप्त होता है। और यही एक गुणहानिका प्रमाण है ऐसा यहाँ ग्रहण करना चाहिये । इस प्रकार आगे भी सर्वत्र अपकर्षण-उत्कर्षण भागहारको निषेकभागहार करके यथानिषेक कालके प्रथम समयके प्राप्त होनेतक ले जाना चाहिये । फिर पहलेके समान सब द्रव्यको प्रथम निषेकके प्रमाणरूपसे करनेपर अपकर्षण उत्कर्षणभागहारके तीन बटे चार भागप्रमाण प्रथम निषेक प्राप्त होते हैं । यहाँ पर भी गुणकार सूत्र में कहे गये गुणकारके बराबर नहीं हुआ है, इसलिये सूत्रमें कहे गये गुणकारको उत्पन्न करनेके लिये यहाँ पर अपकर्षणउत्कर्षण भागहारके दो बटे तीन भागप्रमाण गुणहानिअध्वान है ऐसा ग्रहण करना चाहिये ।
६६३५. अब इस गुणहानिअध्वानकी सिद्धि के लिये यह प्ररूपणा करते हैं। वह इस प्रकार है-यथानिषेककी प्रथम गुणहानिके प्रथम समयसे लेकर नीचे अपकर्षण-उत्कर्षण भागहारके दो बटे तीन भागप्रमाण स्थान जाकर जो गोपुच्छा स्थित है उसके प्राप्त होने तक क्रमसे यथानिषेक गोपुच्छाओंकी पँक्तिकी रचना करना चाहिये और यही एक गुणहानिस्थानान्तरका प्रमाण है । इस प्रकार प्रथम गुणहानिके द्रव्यको स्थापित करके उसके प्रत्येक निषेकमेंसे अन्तिम गोपुच्छाके प्रमाणके सिवा शेष अधिक द्रव्यको एकत्रित करके अलग रख दे। इस प्रकार अलग रखे गये अधिक द्रव्यके प्रमाणका विचार करते हैं। यहाँ पर अन्तिम निषेकका जितना प्रमाण है उससे अनन्तर उपरिम गोपुच्छाका प्रमाण एक प्रक्षेपमात्र अधिक है।
शंका–उसका प्रमाण कितना है ? समाधान-जघन्य निषेकके संख्यातवें भागप्रमाण है । शंका-उसका प्रतिभाग क्या है ?
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