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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पदेसविहत्ती ५ भरिदल्लिया तस्स उक्कल्सयमोकड्डणादो उक्कड्डणादो संकमणादो च झीणहिदियं ।
$४६४. एदस्स सामित्तविहाययसुत्तस्सासेसावयवत्थपरूवणा सुगमा, मिच्छत्तसामित्त सुत्तम्मि परूविदत्तादो। णवरि उदयावलिया ति बुते उदयसमयं मोत्तण समयूणावलियमेत्तदंसणमोहणीयक्खवणगुणसे ढिगोवुच्छाहि जावदि सक ताव आरिदपदेसग्गाहि उदयावलिया संपुण्णीकया त्ति घेतव्वं । उदयसमओ किमिदि वज्जिदो ? ण, उदयाभावेण तस्स त्थिवुकसकमेण सम्मत्तदयगोवुच्छाए उवरि संकमिय विपच्चंतस्स एत्थाणुवजोगित्तादो ।
* उक्कस्सयमुदयादो झीणहिदियं कस्स । ४६५. सुगम ।
ॐ गुणिदकम्मंसिओ संजमासंजम-संजमगुणसेढीयो काऊण ताधे गदो सम्मामिच्छत्तं जाधे गुणसेढिसीसयाणि पढमसमयसम्मामिच्छाइहिस्स
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उदयसमयके सिवा शेष उदयावलि पूरित हो गई है वह सम्यग्मिथ्यात्वके अपकर्षण, उत्कर्षण और संक्रमणसे झीन स्थितिवाले उत्कृष्ट कर्मपरमाणुओंका स्वामी होता है ।
६४६४. स्वामित्वका विधान करनेवाले इस सूत्रके सब अवयवोंका अर्थ सुगम है, क्योंकि मिथ्यात्वके स्वामित्वका कथन करनेवाले सूत्र में उनका प्ररूपण कर आये हैं। किन्तु सूत्र में जो 'उदयावलिया उदयवज्जा भरिदल्लिया' ऐसा कहा है सो इसका आशय यह है कि उदयसमय के सिवा एक समय कम उदयावलिप्रमाण जो दर्शनमोहनीयकी क्षपणासम्बन्धी गोपुच्छाए हैं, जो कि यथासम्भव अधिकसे अधिक कर्मपरमाणुनोंसे पूरित की गई हैं, उनसे उदयावलिको परिपूर्ण करे।
शंका-यहाँ उदय समयका वर्जन क्यों किया गया है ?
समाधान--नहीं, क्योंकि सम्यग्मिथ्यात्वका उदय न होनेसे वह उदयसम्बन्धी गोपुच्छा स्तिवुक संक्रमणके द्वारा सम्यक्त्वकी उदयसम्बन्धी गोपुच्छामें संक्रमित होकर फल देने लगती है, इसलिये वह यहाँ उपयोगी नहीं है।
विशेषार्थ-जो गुणितकाशवाला जीव अतिशीघ्र आकर दर्शनमोहनीयकी क्षपणा करता है उसके सम्यग्मिथ्यात्वके अन्तिम स्थितिकाण्डकका पतन हो जानेके बाद जो एक समय कम उदयावलि प्रमाण कर्म परमाणु शेष रहते हैं वे अपकर्षण, उत्कर्षण और संक्रमणसे झीनस्थितिवाले उत्कृष्ट कर्मपरमाणु हैं यह इस सूत्रका भाव है। शेष विशेषता जैसे सम्यक्त्वके उत्कृष्ट स्वामित्वका विशेष खुलासा करते समय लिख आये है उसी प्रकार यहाँ भी जान लेनी चाहिये ।
* उदयसे झीनस्थितिवाले उत्कृष्ट कर्म परमाणुओं का स्वामी कौन है। ६४६५. यह सूत्र सुगम है।
* गुणितकौशवाला जो जीव संयमासंयम और संयमसम्बन्धी गुणश्रेणियोंको करके तब सम्यग्मिथ्यात्वको प्राप्त हुआ जब सम्यग्मिथ्यात्वका प्राप्त होनेके प्रथम
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