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गा० २२] पदेसविहत्तीए झीणाझीणचूलियाए परूवणा .. २६३
* एवं गंतूण जद्देही एसा हिदी एत्तिएण ऊणिया कम्महिदी विदिक्कता जस्स पदेसग्गस्स तमेदिस्से हिदीए पदेसग्गं होज । तं पुण उकाडणादो झीणहिदियं ।
४५१. के ही एसा हिदी ? जद्देही समयूणावलियपरिहीणाबाहा तद्देही । सेसं सुगमं ।
8 एदं हिदिमादि कादूण जाव जहरिणयाए आवाहाए एत्तिएण ऊणिया कम्महिदी विदिक्कता जस्स पदेसग्गस्स तं पि पदेसग्गमेदिस्से हिवीए होज । तं पुण सव्वमुफडणादो झीणहिदियं ।
४५२. कुदो ? अवहिदाए अइच्छावणाए आवलियमेत्तीए समयूणसणेण अज्ज वि संपुण्णत्ताभावादो । एदमेत्थतणचरिमवियप्पस्स वुत्तं, सेसासेसमझिमवियप्पाणं पि एदं चेव कारणं वत्तव्वं, विसेसाभावादो ।
* इस प्रकार आगे जाकर जितनी यह विवक्षित स्थिति है इससे न्यून शेष कर्मस्थिति जिन कर्मपरमाणुओंकी व्यतीत हो गई है वे कर्मपरमाणु इस स्थिति हो सकते हैं । परन्तु वे कर्मपरमाणु उत्कर्षणसे झीन स्थितिवाले हैं। .
४५१. शंका-इस स्थितिका कितना प्रमाण है ?
समाधान-एक समय कम आवलिसे न्यून आबाधा जितनी है उतना इस स्थितिका प्रमाण है।
शेष कथन सुगम है। . विशेषार्थ-इस सूत्रमें यह बतलाया है कि इस विवक्षित स्थितिमें किस स्थितिसे पूर्वके कर्मपरमाणु नहीं हैं और वह प्रारम्भकी कौनसी स्थिति है जिसके परमाणु इसमें हैं। जैसा कि पहले लिख पाये हैं कि इस विवक्षित स्थितिमें जिन कर्मपरमाणुओंकी एक समय अधिक
आवलिसे न्यून कर्मस्थिति व्यतीत हो गई है वे कर्मपरमाणु नहीं है। जिनकी दो समय अधिक श्रावलिसे न्यून कर्मस्थिति व्यतीत हो गई है वे कर्मपरमाणु भी नहीं हैं। इसी प्रकार उत्तरोत्तर एक एक समय बढ़ाते हुए जिनकी एक प्रावलि न्यून आवाधाप्रमाण कर्मस्थिति शेष रही है वे कर्मपरमाणु भी इस विवक्षित स्थितिमें नहीं हैं। मात्र जिनकी एक समय कम आवलिसे न्यन आबाधाप्रमाण कमस्थिति शेष है वे कर्मपरमाणु इस विवक्षित स्थितिमें अवश्य पाये जाते हैं। फिर भी इन कर्मपरमाणुओंका उत्कर्षण नहीं हो सकता, क्योंकि इनमें एक समयमात्र भी शक्तिस्थिति नहीं पाई जाती है यह इस सूत्रका भाव है।
* इस स्थितिसे लेकर जघन्य आबाधा तक जितनी स्थिति है उससे न्यून कर्मस्थिति जिन कर्मपरमाणुओंकी व्यतीत हो गई है वे कर्मपरमाणु भी इस विवक्षित स्थितिमें हैं परन्तु वे सबके सब उत्कर्षणसे झीन स्थितिवाले हैं।
६४५२. क्योंकि अवस्थित अतिस्थापना एक आवलिप्रमाण बतलाई है वह एक समय कम होनेसे अभी पूरी नहीं हुई है। यह यहाँ अन्तिम विकल्पका कारण कहा है। वाकीके सब मध्यम विकल्पोंका भी यही कारण कहना चाहिये, क्योंकि उससे इसमें कोई विशेषता नहीं है।
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