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जयधवलासहिदे कसायपाहुरे
पदेसबिहत्ती ५ ४१४. तिरिक्वगई. तिरिक्खा० मिच्छत्त-बारसक० भय-दुगुंछा० सव्वत्थोवा अवहि० । असंखे०भागहाणि. असंखे०गुणा । असंखे० भागवडि० संखे०गुणा । एवं पुरिस० । णवरि असंखे०भागवडि० अणंतगुणा। सम्मत्त-सम्मामि-अणंताणु०४ ओघ । इत्थि०-णस०-चदुणोक. णारयभंगो। पंचिंदियतिरिक्ख अपज्ज० मिच्छ०. सोलसक० भय दुगुंडा० सव्वत्थोवा अवहि० । असंखे०भागहाणि. असंखे०गुणा । असंखे०भागवटि संखे०गुणा । सम्मत्त-सम्मामि० सव्वत्थोवा असंखे०गुणहाणि | असंखे०भागहाणि. असंखे०गुणा। सत्तणोकसाय० णारयभंगो। णवरि पुरिस० अवटि. पत्थि।
१४१५. मणुसगई० मणुस्सा० मिच्छ० अटकसा. सव्वत्थोवा असंखेगुणहाणि । अवहि० असंखे गुणा । असंखे० भागहाणि० असंखे०गुणा । असंखे०भागवडि० संखे० गुणा। सम्मत्त-सम्मामि० सव्वत्थोवा अवत्त० । असंखे० गुणवडि. संखे०गुणा । असंखे० भागवडि० संखे०गुणा। असंखे० गुणहाणि. असंखे० गुणा । असंखे० भागहाणि. असंखे०गुणा । अणंताणुबंधिचउक्क० सव्वत्थोवा अवत्त । असंखे० गुणहाणि. संखे०गुणा । संखे० भागवडि० संखे०गुणा । संखे०गुणवडि. संखे०गुणा । असंखे०गुणवड्डि० संखेजगुणा । अवहि. असंखे० गुणा। असखे०
६४१४. तियश्चगतिमें तिर्यञ्चोंमें मिथ्यात्व, बारह कषाय, भय और जुगुप्साकी अवस्थितविभक्तिवाले जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे असंख्यातभागहानिवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार पुरुषवेदकी श्रपेक्षा अल्पबहुत्व है। इतनी विशेषता है कि इसकी असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव अनन्तरणे हैं। सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व और अनन्तानुबन्धीचतुष्कका भङ्ग ओघके समान है। स्त्रीवेद, नपुंसकवेद और चार नोकषायोंका भङ्ग नारकियोके समान है। पञ्चन्द्रिय तिर्यश्च अपर्याप्तकोंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय, भय और जुगुप्साकी अवस्थितविभक्तिवाले जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे असंख्यातभागहानिवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव संख्यातगुणे हैं। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी असंख्यातगुणहानिवाले जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे असंख्यातभागहानिवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। सात नोकषायोंका भङ्ग नारकियोंके समान है। इतनी विशेषता है कि पुरुषवेदका अवस्थितपद नहीं है।
६४१५. मनुष्यगतिमें मनुष्यों में मिथ्यात्व और आठ कषायोंकी असंख्यातगुणहानिवाले जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे अवस्थितविभक्तिवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे असंख्यातभागहानिवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव संख्यातगुणे हैं। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी अवक्तव्यविभक्तिवाले जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे असंख्यात गुणवृद्धिवाले जीव संख्यातगुणे हैं। उनसे असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव संख्यातगुणे हैं। उनसे असंख्यातगुणहानिवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे असंख्यातभागहानिवाले जीव असंख्यातगुणे हैं। अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी अवक्तव्यविभक्तिवाले जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे असंख्यातगुणहानिवाले जीव संख्यातगुणे हैं। उनसे संख्यातभागवृद्धिवाले जीव संख्यातगुणे हैं। उनसे संख्यातगुणवृद्धिवाले जीव संख्यातगुणे हैं। उनसे असंख्यातगुणवृद्धिवाले जीव संख्यातगुणे हैं।
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