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गो० २२] उत्तरपयडिपदेसविहत्तीए वड्डीए पोसणं
२१९ हाणि• लोग० असंखे० भागो । पुरिस० असंखे०भागवड्डि-हा० सव्वलोगो। अवहि० लोग० असंखे०भागो अढचोद० । असंखे गुणहाणि-संखे०गुणवडि० लोग० असंखे०भागो। हस्स-रइ-अरइ-सोगाणं असंखे० भागवडि-हाणि सव्वलोगो। भय-दुगुंछा० असंखे भागवडि-हाणि-अवहि० सव्वलोगो।
३६५. आदेसेण गेरइय० मिच्छत्त-सोलसक०-भय-दुगुंछा० असंखे०भागवडिहाणि-अवहि. लोग. असंखे० भागो छचोदस० । सम्म०-सम्मामि० असंखे०भागहाणि-असंखे० गुणहाणि. लोग० असंखे० भागो छचोदस० । सेसपदा० खेत्तं । अणंताणु०४ संखे०भागवट्टि--संखे० गुणवडि--असंखे.गुणवडि--असंखे०गुणहाणिअवत्त० खेत्तभंगो। इत्थि०-णवूस. असंखे०भागवभि-हाणि. लोग० असंखे० भागो छचोद्दस० । पुरिस० असंखे०भागवडि-हाणि• लोग० असंखे०भागो छचोदस० । अवहि. लोग० असंखे भागो। हस्स-रइ-अरइ-सोगाणं असंखे०भागवडि-हाणि लोग० असंखे० भागो छचोदस० । पढमाए खेत्तभंगो। विदियादि जाव सत्तमा ति
और असंख्यातभागहानिवाले जीवोंने सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। असंख्यातगुणहानिवाले जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। पुरुषवेदकी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिवाले जीवोंने सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। अवस्थितविभक्तिवाले जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और सनालीके कुछ कम पाठ बटे चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। असंख्यातगुणहानि और संख्यातगुणवृद्धिवाले जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। हास्य, रति, अरति और शोककी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिवाले जीवोंने सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। भय और जुगुप्साकी असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागहानि और अवस्थितविभक्तिवाले जीवोंने सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है।
$३६५. आदेशसे नारकियोंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय, भय और जुगुप्साकी असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागहानि और अवस्थितविभक्तिवाले जीवोंने लोकके असंख्यातवें भाग और त्रसनालीके कुछ कम छह बटे चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी असंख्यातभागहानि और असंख्यातगुणहानिवाले जीवोंने लोकके असंख्यातवें भाग और त्रसनालीके कुछ कम छह बटे चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। शेष पदोंका भङ्ग क्षेत्रके समान है। अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी संख्यातभागवृद्धि, संख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणहानि और अवक्तव्यविभक्तिवाले जीवोंका भङ्ग क्षेत्रके समान है। स्त्रीवेद
और नपुंसकवेदकी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिवाले जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और त्रसनालीके कुछ कम छह बटे चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। पुरुषवेदकी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिवाले जीवोंने लोकके असंख्यातवें भाग
और त्रसनालीके कुछ कम छह बटे चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । अवस्थितविभक्तिवाले जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। हास्य, रति, अरति और शोककी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिवाले जीवोंने लोकके असंख्यातवें भाग और त्रसनालीके कुछ कम छह बटे चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। पहली पृथिवीमें क्षेत्रके समान भङ्ग है। दूसरीसे लेकर सातवीं तककी पृथिवियों में सामान्य
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