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गा० २२] उत्तरपयडिपदेसविहत्तीए वड्डीए भागाभागो
२१३ असंखे भागवडि० संखेजा भागा। इत्थि०-णस०-हस्स-रइ-अरइ-सोग० असंखे०भागवडि. केव० ? संखे० भागो। असंखे०भागहा० सव्व जी. संखेज्जा भागा। णवरि णवूस अरइ-सोगाणं विवरीयं कायव्वं । एवं सवणेरइय० पंचितिरिक्ख०३ देवगई० देवा भवणादि जाव उवरिमगेवजा त्ति । णवरि आणदादिसु पुरिस-णस०मिच्छत्त०-अणंताणु०४ असंखे० भागवडि-हाणीणं विवज्जासो काययो ।
३८६. तिरिक्खगई० तिरिक्खा० मिच्छ०-बारसक० भय-दुगुंछ० अवहि० सव्यजी० असंखे०भागो। असंखे० भागहाणि० संखे०भागो। असंखे०भागवट्टि. संखेज्जा भागा। सम्म०-सम्मामि० असंखे०भागहा. असंखेजा भागा। सेसपदा असंखे० भागो। अणंताणु०४ संखे०भागवड्डि-संखे०गुणवड्डि-असंखे०गुणवडि-हाणिअवत्त. अणंतभागो । अहि. असंखे०भागो । असंखे भागहा० संखे०भागो। असंखे० भागवडि० संखेजा भागा। इत्थि-णवूस०-हस्स-रइ-अरइ-सोगा० णेरइयभंगो । पुरिस० अवहि० सयजी० केव० ? अणंतभागो । असंखे०भागवडि. संखे०भागो । असंखे० भागहाणि० संखेजा भागा ।
३८७. पंचिंदियतिरिक्खअपज्ज० मिच्छ०-सोलसक०-भय-दुगुंछा० अवहि. जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं । असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। स्त्रीवेद, नपुंसकवेद, हास्य, रति, अरति और शोककी असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागहानिवाले जीव सब जीवों के संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। इतनी विशेषता है कि नपुंसकदेद, अरति और शोकका विपरीत करना चाहिए। इसीप्रकार सब नारकी, पञ्चन्द्रिय तिर्यञ्चत्रिक, देवगतिमें देव और भवनवासियों से लेकर उपरिम वेयक तकके देवोंमें जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि आनतादिकमें पुरुषवेद, नपुंसकवेद, मिथ्यात्व और अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिका विपर्यास करना चाहिए ।
६३८६. तिर्यश्चगतिमें तिर्यश्चोंमें मिथ्यात्व, बारह कषाय, भय और जुगुप्साकी अवस्थितविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागहानिवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। सम्यक्त्व
और सम्यग्मिथ्यात्वकी असंख्यातभागहानिवाले जीव असंख्यात बहुभागप्रमाण हैं। शेष पदवाले जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी संख्यातभागवृद्धि, संख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणहानि और अवक्तव्यविभक्तिवाले जीव अनन्तवें भागप्रमाण हैं। अवस्थितविभक्तिवाले जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागहानिवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभाग द्धिवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। स्त्रीवेद, नपुंसकवेद, हास्य, रति, अरति और शोकका भङ्ग नारकियोंके समान है। पुरुषवेदकी अवस्थितविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? अनन्तवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण है। असंख्यातभागहानिवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं।
६ ३८७. पञ्चन्द्रिय तिर्यञ्च अपर्याप्तकोंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय, भय और जुगुप्साकी
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