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________________ २१४ - जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पदेसविहत्ती ५ सव्वजी० असंखे०भागो। असंखे०भागहाणि. संखे०भागो। असंखे०भागवडि. संखेज्जा भागा। सम्म०-सम्मामि० असंखे०गुणहा० असंखे०भागो । असंखे०भागहा० असंखेज्जा भागा। सत्तणोक० रइयभंगो। णवरि पुरिस० अवहि० गत्थि । एवं मणुसअपज्ज। ३८८. मणुसगई. मणुसा० मिच्छ०-अट्ठक० असंखे०गुणहा०-अवहि० सव्वजी. केव० १ असंखे०भागो । असंखे०भागहाणि. संखे भागो। असंखे० भागवड्डि० संखे०भागा । सम्म०-सम्मामि० असंखे गुणवड्डि-हाणि-असंखे०भागवडिअवत्त० असंखे०भागो। असंखे०भागहा. असंखेज्जा भागा। अणंताणु०४ अवहि०संखे०भागवड्डि-संखे० गुणवडि--असंखे०गुणवडि--हाणि--अवत्त० असंखे० भागो । असंखे०भागहा० संखे०भागो। असंखे०भागवडि० संखेज्जा भागा। तिहिसंज० अवहि० संखे०गुणवडि--असंखे गुणहाणि• सबजी. केव० ? असंखे०भागो । असंखे०भागहा० संखे०भागो। असंखे०भागवडि० संखे०भागा । लोहसंजल. संखे०गुणवडिल-अवहि० सव्वजी० असंखे०भागो। असंखे०भागहा. संखे०भागो । असंखे०भागवडि० संखेजा भागा । इत्थि-णवूस० असंखे०गुणहा. सव्वजी० wamnne.... अवस्थितविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागहानिवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी असंख्यातगुणहानिवाले जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं । असंख्यातभागहानिवाले जीव असंख्यात बहुभागप्रमाण हैं। सात नोकषायोंका भङ्ग नारकियोंके समान है। इतनी विशेषता है कि पुरुषवेदकी अवस्थितविभक्ति नहीं है। इसीप्रकार मनुष्य अपर्याप्तकोंमें जानना चाहिए। $३८८. मनुष्यगतिमें मनुष्यों में मिथ्यात्व और आठ कषायोंकी असंख्यातगुणहानि और अवस्थितविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागहानिवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणहानि असंख्यातभागवृद्धि और अवक्तव्यविभक्तिवाले जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं । ठासंख्यातभागहानिवाले जीव असंख्यात बहुभागप्रमाण हैं । अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी अवस्थितविभक्ति, संख्यातभागवृद्धि,संख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणहानि और अवक्तव्यविभक्तिवाले जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागहानिवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। तीन संज्वलनोंकी अवस्थितविभक्ति, संख्यातगुणवृद्धि और असंख्यातगुणहानिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यातवें भागप्रमाण हैं । असंख्यातभागहानिवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं! असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। लोभसंज्वलनकी संख्यातगुणवृद्धि और अवस्थितविभक्ति वाले जीव सब जीवोंके असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागहानिवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। स्त्रीवेद और नपुंसकवेद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001413
Book TitleKasaypahudam Part 07
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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