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________________ गा० २२] उत्तरपयडिपदेसविहत्तीए वड्डीए भागाभागो २११ च । हस्स-रइ-अरइ-सोगाणं असंखे भागवट्टि-हा विह० णियमा अस्थि । एवं जाव अणाहारि त्ति । ३८४. भागाभागाणु० दुविहो णिदेसो-मोघेण आदेसेण य। ओघेण मिच्छ. असंखे गुणहाणिविह० सव्वजी. केवडिओ भागो ? अणंतभागो । अवहि विह० सव्वजी० केव. १ असंखे०भागो। असंखे०भागहा. सव्वजी. केव० ? संखे०भागो। असंखे०भागवट्टि० सव्वजी० केव० १ संखेज्जा भागा । एवमहकसाय० । सम्म०.-सम्मामि० असंखे०भागवडि--असंखे०गुणवड्डि--हाणिअवत्त० सव्वजी० केव० १ असंखे०भागो । असंखे०भागहा० सव्वजी० केव० ? असंखेज्जा भागा । अणंताणु०४ संखे०भागवडि---संखे०गुणवड्डिअसंखे०गुणवड्डि-हाणि-अवत्त० सव्वजी० केव० १ अणंतभागो। अवहि० असंखे०भागो । असंखे०भागहा० संखे०भागो। असंखे०भागवड्डि. सधजीवा केव० ? संखेज्जा भागा । चसंजल० संखे गुणवडि-असंखेगुणहा. सव्वजी. के. ? अणंतभागो। अवहि० असंखे०भागो। असंखे०भागहा. केव० ? संखे०भागो। असंखे० भागवडि० के० ? संखेज्जा भागा। णवरि लोभसंज. असंखे०गुणहाणि. भागवृद्धि और असंख्यातभागहानिविभक्तिवाले जीव नियमसे हैं। इसप्रकार अनाहारकमार्गणा तक ले जाना चाहिए। इसप्रकार नाना जीवोंकी अपेक्षा भङ्गविचय समाप्त हुआ। ६३८४. भागाभागानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश । ओघसे मिथ्यात्वकी असंख्यातगुणहानिविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? अनन्तवें भागप्रमाण हैं। अवस्थितविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागहानिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। इसीप्रकार आठ कषायोंकी अपेक्षा भागाभाग जानना चाहिए। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणहानि और अवक्तव्यविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागहानिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यात बहुभागप्रमाण हैं। अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी संख्यातभागवृद्धि, संख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणहानि और अवक्तव्यविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? अनन्तवें भागप्रमाण हैं। अवस्थितविभक्तिवाले जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागहानिवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागवृद्धि वाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। चार संज्वलनोंकी संख्यातगुणवृद्धि और असंख्यातगुणहानिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? अनन्तवें भागप्रमाण हैं। अवस्थितविभक्तिवाले जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागहानिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यातवें भागप्रमाण हैं। असंख्यातभागवृद्धिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। इतनी विशेषता है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001413
Book TitleKasaypahudam Part 07
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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