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गा० २२] उत्तरपयडिपदेसविहत्तीए वड्डीए भंगविचो अवहिदा च । सम्म-सम्मामि० असंखे० भागहाणि० णियमा अस्थि । सेसपदाणि भयणिजाणि । अणंताणु०४ असंखे०भागवडि-हाणि० णियमा अत्थि । सेसपदाणि भयणिज्जाणि । इत्थि०--णवुस०--हस्स-रइ--अरइ- सोगाणं असंखे० भागवडि-हाणि. णियमा अत्थि । एवं सत्रणेरइय० पंचिंदियतिरिक्व०३ देवगदीए देवा भवणादि जाव उपरिमगेवज्जा ति।
३८०. तिरिक्खगई० तिरिक्खा० मिच्छत्त-बारसक०-भय-दुगुंछा० असंखे०भागवडि-हाणि-अवहिदा णियमा अस्थि । सम्म०-सम्मामि असंखे० भागहा. णियमा अत्थि । सेसपदा भयणिज्जा। अणंताणु०४ असंखे भागवडि-हाणि-अवहि. णियमा अत्थि । सेसपदा भयणिज्जा । इत्थि-णवंस०-चदुणोक० असंखे०भागवटि-हा० णियमा अत्थि। पुरिस० असंखे०भागवडि-हाणि. णियमा अत्थि । सिया एदे च अवटिविहत्तिओ च । सिया एदे च अवद्विदविहत्तिया च ।
६३८१. पंचिंदियतिरिक्वअपज्ज० मिच्छत्त-सोलसक०-भय-दुगुंछा० असंखे०. भागवडि-हाणि० णियमा अस्थि । सिया एदे च अवहिदविहनिओ च । सिया एदे च अवहिदविहत्तिया च । सम्मत्त-सम्मामि० असंखे०भागहा० णियमा अस्थि । सिया
अवस्थितविभक्तिवाला एक जीव है, कदाचित् ये जीव हैं और अवस्थितविभक्तिवाले नाना जीव हैं। सम्यक्त्व और सम्यग्यिथ्यात्वकी असंख्यातभागहानिवाले जीव नियमसे हैं। शेष पद भजनीय हैं। अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिवाले जीव नियमसे हैं। शेष पद भजनीय हैं। स्त्रीवेद, नपुंसकवेद, हास्य, रति, अरति और शोककी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिवाले जीव नियमसे हैं। इसीप्रकार सब नारकी, पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चत्रिक, देवगतिमें देव और भवनवासियोंसे लेकर उपरिम वेयक तकके देवोंमें जानना चाहिए।
६३८०. तिर्यञ्चगतिमें तिर्यञ्चोंमें मिथ्यात्व, बारह कषाय, भय और जुगुप्साकी असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागहानि और अवस्थितविभक्तिवाले जीव नियमसे हैं। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी असंख्यातभागहानिवाले जीव नियमसे हैं। शेष पद भजनीय हैं। अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागहानि और अवस्थितविभक्तिवाले जीव नियमसे हैं। शेष पद भजनीय हैं। स्त्रीवेद, नपुंसकवेद और चार नोकषायोंकी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिवाले जीव नियमसे हैं। पुरुषवेदकी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिवाले जीव नियमसे हैं। कदाचित् ये जीव हैं और अवस्थितविभक्तिवाला एक जीव है, कदाचित् ये जीव हैं और अवस्थितविभक्तिवाले नाना जीव हैं।
६ ३८१. पञ्चेन्द्रिय तिर्यश्च अपर्याप्तकोंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय, भय और जुगुप्साकी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिवाले जीव नियमसे हैं। कदाचित् ये जीव हैं और अवस्थितविभक्तिवाला एक जीव है, कदाचित् ये जीव हैं और अवस्थितविभक्तिवाले नाना जीव हैं। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी असंख्यातभागहानिवाले जीव नियमसे हैं। कदाचित् ये
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