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________________ गा० २२] उत्तरपयडिपदेसविहत्तीए वड्डीए अंतरं उक्क० अंतोमु०। ३७३. पंचिंदियतिरिक्ख३ मिच्छ० असंखे०भागवडी० ज० एगस०, उक्क० तिणिपलिदो० सादिरेयाणि । असंखे०भागहाणी० ज० एगस०, उक्क० पलिदो० असंखे०भागो । अवहि० ज० एगस०, उक्क० सगहिदी देसूणा । सम्म०-सम्मामि० असंखे भागवड्डी० असंखे०गुणवड्डी० हाणी० अवत० ज० पलिदो० असंखे भागो, क्क० तिगिणपलिदो० पुवकोडिपुधत्तेणब्भहियाणि । एवमसंखे भागहाणी । णवरि जह० एगस० । अणंताणु०४ असंखे० भागवडी० हा० ज० एगस०, उक्क तिण्णि पलिदो सादिरेयाणि । हाणी० देसूणा । अवहि० मिच्छत्तभंगो। संखे भागवड्डी० संखे०गुणवडी० असंखे० गुणवडी० हा० अवत्त० ज० अंतोमु०, उक्क० तिषिणपलिदो० पुवकोडिपुधत्तेणब्भहियाणि। बारसक०-पुरिस०-भय-दुगुंछा० असंखे०भागवडी० हाणी. जह• एगस०, उक्क० पलिदो० असंखे०भागो । अवहि० ज. एगस०, उक्क. सगहिदी देसूणा । इत्थि० असंखे०भागवड्डी० जह० एगस०, उक्क. तिणिपलिदो० देसूणाणि। असंखे०भागहाणी० ज० एगस०, उक्क० अंतोमु० । णqस० अंसंखे०भागवडी० जह० एगस०, उक्क० पुव्वकोडी देसूणा । असंखे० vvvw समय है और उत्कृष्ट अन्तर अन्तर्मुहूर्त है । ६३७३. पञ्चेन्द्रिय तियश्चत्रिकमें मिथ्यात्वकी असंख्यातभागवृद्धिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर साधिक तीन पल्य है। असंख्यातभागहानिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है। अवस्थितविभक्तिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर कुछ कम अपनी स्थितिप्रमाण है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणहानि और अवक्तव्यविभक्तिका जघन्य अन्तर पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है और उत्कृष्ट अन्तर पूर्वकोटि पृथक्त्व अधिक तीन पल्य है। इसी प्रकार असंख्यातभागहानिका अन्तर काल जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि इसका जघन्य अन्तर एक समय है। अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर साधिक तीन पल्य है। मात्र असंख्यातभागहानिका उत्कृष्ट अन्तर कुछ कम तीन पल्य है। अवस्थितविभक्तिका भङ्ग मिथ्यात्वके समान है। संख्यातभागवृद्धि, संख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणहानि और अवक्तव्यविभक्तिका जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तर पूर्वकोटि पृथक्त्व अधिक तीन पल्य है। बारह कषाय, पुरुषवेद, भय और जुगुप्साकी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है। अवस्थितविभक्तिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर कुछ कम अपनी स्थितिप्रमाण है। स्त्रीवेदकी असंख्यातभागवृद्धिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर कुछ कम तीन पल्य है। असंख्यातभागहानिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर अन्तमुहूर्त है। नपुंसकवेदकी असंख्यातभागवृद्धिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर कुछ कम एक पूर्वकोटि है। असंख्यातभागहानिका जघन्य अन्तर एक समय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001413
Book TitleKasaypahudam Part 07
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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