________________
गा० २२ ]
उत्तरपयडिपदेस वित्तीए बड्डीए, सामित्तं
१६१
हिदिखंडयं संकार्मेतस्स । लोभसंजलणाए असंखे० गुणहाणी णत्थि । इस्थिवेद ० श्रसंखे० भोगवडी कस्स १ अण्णद० मिच्छादिहिस्स । असंखे० भागहाणी कस्स १ अण्णद० सम्मादिडिस्स वा मिच्छादिट्ठिस्स वा । असंखे० गुणहाणी कस्स १ अण्णद० खवगस्स चरिमडिदिखंडयं संकार्मेतस्स । एवं नपुंस० । पुरिसवे० असं खे० भागवड्डिहाणी अदि संजलभंगो । णवरि अवद्वि० सम्माइहिस्स । असंखे ० गुणहाणी कस्स ? अण्णद० खवगस्स पुव्वसंतकम्मं कोधे संभमाणगस्स । हस्स-रइ-अरइसोगाणं असंखे० भागवड्डि-हाणी कस्स : अण्णद० सम्माइहिस्स मिच्छाइहिस्स वा । भय-दुगुंछा० असंखे० भागवड्डि-हाणी भवद्विदं कस्स १ अण्णद० सम्माइहिस्स मिच्छाइ डिस्स वा ।
९३६०. आदेसेण मिच्छ० असंखे० भागवडी अवद्विदं कस्स ? अण्णद० मिच्छाइ हिस्स | असंखे ० भागहाणी कस्स ? अण्णद० सम्माइद्विस्स वा मिच्छाइडिस्स वा | सम्म० सम्मामि० असंखे० भागवडी कस्स १ अण्णदर० सम्माइहिस्स । असंखे०भागहाणी कस्स ? अण्णद० सम्माइहिस्स वा मिच्छाइहिस्स वा । संखे० गुणवडी कस्स ? अण्णद० उवसमसम्माइहिस्स गुणसंकमेण अंतोमुहुत्तं पूरेमाणस्स जाव से काले विज्झादं पsिहदि ति । असंखे ०गुणहाणी कस्स १ अण्णद० उब्वेल्लमा णगस्स
संक्रमण कर रहा है उसके होती है । लोभसंज्वलनकी संख्यातगुणहानि नहीं होती । स्त्रीवेदकी असंख्यातभागवृद्धि किसके होती है ? अन्यतर मिध्यादृष्टिके होती है । श्रसंख्यात भागहानि किसके होती है ? अन्यतर सम्यग्दृष्टि या मिथ्यादृष्टिके होती है । असंख्यातगुणहानि किसके होती है ? जो अन्यतर क्षपक चरम स्थितिकाण्डकका संक्रमण कर रहा है उसके होती है। इसी प्रकार नपुंसकवेदकी अपेक्षा से स्वामित्व जानना चाहिए । पुरुषवेदकी असंख्यात भागवृद्धि, असंख्यात भागहानि और अवस्थितविभक्तिका भङ्गः संज्वलनके समान है । इतनी विशेषता है कि अवस्थितविभक्ति सम्यग्दृष्टिके होती है । असंख्यातगुणहानि किसके होती है ? जो अन्यतर क्षपक पहलेके सत्कर्मको क्रोधमें प्रक्षिप्त कर रहा है उसके होती है । हास्य, रति, अरति और शोककी असंख्यात भागवृद्धि और असंख्यातभागहानि किसके होती है ? अन्यतर सम्यग्दृष्टि या मिध्यादृष्टि होती है । भय और जुगुप्साकी असंख्यात भागवृद्धि, असंख्यात भागहानि और अवस्थितविभक्ति किसके होती है ? अन्यतर सम्यग्दृष्टि या मिध्यादृष्टिके होती है ।
-
$ ३६०. देशसे मिथ्यात्वकी असंख्यातभागवृद्धि और अवस्थितविभक्ति किसके होती है ? अन्यतर मिध्यादृष्टि के होती है । असंख्यात भागहानि किसके होती है ? अन्यतर सम्यग्दृष्टि या मिथ्यादृष्टिके होती है । सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी असंख्यात भागवृद्धि किसके होती है ? अन्यतर सम्यग्दृष्टिके होती है । असंख्यात भागहानि किसके होती है ? अन्यतर सम्यग्दृष्टि या मिथ्यादृष्टिके होती है । असंख्यात गुणवृद्धि किसके होती है ? जो अन्यतर उपशमसम्यग्दृष्टि जीव गुणसंक्रमके द्वारा अन्तर्मुहूर्त तक पूरकर जब अनन्तर समय में विध्यातसंक्रमको प्राप्त करेगा तब उसके असंख्यातगुणवृद्धि होती है । असंख्यातगुणहानि किसके
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org