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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पदेसविहत्ती ५ गुणवड्डी असंखे०गुणवड्डी च कस्स ? अण्णद० अणंताणु० विसंजोएदूण मिच्छत्तं गदस्स आवलियमिच्छाइहिस्स । अवत्त० कस्स ? अण्णद० पढमसमयसंजुत्तस्स । असंखे०गुणहाणी कस्स ? अण्णद. अणंताणु० विसंजोजयस्स चरिमहिदिखंडए अवणिदे। अहकसाय० असंखे०भागवड्डी अवहि० असंखे०भागहाणी कस्स ? अण्णद. सम्माइहिस्स वा मिच्छाइहिस्स वा । असंखे०गुणहाणी कस्स ? अण्णद० खवगस्स अपच्छिमे हिदिखंडए गुणसेढिसीसगेण सह आगायिदूण णिल्लेविदे। कोहसंजल. असंखे०भागवडि-हाणी अवहिदं अहकसायभंगो। संखेजगुणवडी कस्स ? अण्णद. पुरिसवेदो कोधे संपक्वित्तो ताधे कोधस्स संखे०गुणवड्डी । माणस्स असंखे०भागवड्डी हाणी अवहि० कोहभंगो। संखे० गुणवड्डी कस्स ? अण्णद० कोधस्स पुवसंतकम्मे माणे संपक्खित्ते ताधे तस्स संखे० गुणवड्डी। मायाए असंखे०भागवड्डी हाणी अवट्ठिदं माणभंगो । संखे०गुणवड्डी कस्स ? अण्णद. माणसंजलणं जाधे मायाए संपक्वित्तं ताधे । लोभसंजलण० असंखे०भागवड्डी हाणी अवहि० मायासंजलणभंगो। संखे०गुणवड्डी कस्स ? अण्णद० खवगस्स मायाए पोराणसंतकम्म जाधे लोभे संपक्खित्तं ताधे। तिण्हं संजलणाणं असंखे गुणहाणी कस्स ? अण्णद० खवगस्स चरिम
संख्यातगुणवृद्धि और असंख्यातगुणवृद्धि किसके होती है ? जिस अन्यतर जीवको अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी विसंयोजना करके मिथ्यात्वमें जाकर मिथ्यादृष्टि हुए एक श्रावलि हुआ है उसके होती है । अवक्तव्यविभक्ति किसके होती है ? प्रथम समयमें संयुक्त हुए अन्यतर जीवके होती है। असंख्यातगुणहानि किसके होती है ? अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी विसंयोजना करनेवाले अन्यतर जीवके अन्तिम स्थितिकाण्डकके अपगत होने पर होती है। आठ कषायोंकी असंख्यातभागवृद्धि, अवस्थितविभक्ति और असंख्यातभागहानि किसके होती है ? अन्यतर सम्यग्दृष्टि या मिथ्यादृष्टिके होती है। असंख्यातगुणहानि किसके होती है ? जिस अन्यतर क्षपक जीवने अन्तिम स्थितिकाण्डकका गुणनेणिशीर्षके साथ ग्रहणकर निर्लेपन किया है उसके होती है। क्रोधसंज्वलनकी असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागहानि और अवस्थितविभक्तिका भङ्ग आठ कषायोंके समान है । संख्यातगुणवृद्धि किसके होती है ? जिस अन्यतर जीवने जब पुरुषवेदको क्रोधमें प्रक्षिप्त किया है तब उसके क्रोधसंज्वलनकी संख्यातगुणवृद्धि होती है। मानसंज्वलनकी असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागहानि और अवस्थितविभक्तिका भङ्ग क्रोधसंज्वलनके समान है। संख्यातगुणवृद्धि किसके होती है ? जिस अन्यतर जीवने क्रोधसंज्वलनके पूर्वके सत्कर्मको मानसंज्वलनमें प्रक्षिप्त किया है तब उसके उसकी संख्यातगुणवृद्धि होती है। मायासंज्वलनकी असंख्यातवृद्धि, असंख्यातभागहानि और अवस्थितविभक्तिका भङ्ग मानसंज्वलनके समान है। इसकी संख्यातगुणवृद्धि किसके होती है ? जिस अन्यतर जीवने मानसंज्वलनको जब मायासंज्वलनमें प्रक्षिप्त किया तब उसके मायासंज्वलनकी संख्यातगुणवृद्धि होती है। लोभसंज्वलनकी असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागहानि और अवस्थितविभक्तिका भङ्ग मायासंज्वलनके समान है। इसकी संख्यातगुणवृद्धि किसके होती है ? जो अन्यतर क्षपक जीव मायासंज्वलनके प्राचीन सत्कर्मको जब लोभसंज्वलनमें प्रक्षिप्त करता है तब इसकी संख्यातगुणवृद्धि होती है। तीनों संज्वलनोंकी असंख्यातगुणहानि किसके होती है ? जो अन्यतर क्षपक चरम स्थितिकाण्डकका
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