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गा० २२] उत्तरपडिपदेसविहत्तीए वड्डीए सामित्तं अत्थि असंखे०गुणहाणिवि० । बारसक०-पुरिस०-भय-दुगुंछा० अत्थि असंखे०भागवडिहाणि-अवहि० । हस्स-रइ-अरइ-सोगाणं अत्थि असंखे०भागवडि-हाणि । एवं जाव अणाहारि ति।
5 ३५६. सामित्ताणु० दु० णि०-ओघेण आदेसेण य। ओघेण मिच्छ० असंखे०भागवडि. कस्स ? अण्णद० मिच्छाइहिस्स। असंखे०भागहाणी कस्स ? सम्माइहिस्स वा मिच्छाइहिस्स वा। असंखे०गुणहाणी कस्स ? अण्णद० दंसण मोहक्खवगस्स चरिमहिदिखंडए अवगदे । अवहिदं कस्स ? अण्णद० मिच्छाइहिस्स । सम्मत्त०-सम्मामि० असंखे० भागवड्डी असंखे०गुणवड्डी अवत्त० कस्स ? अण्णद. सम्माइहिस्स। असंखे० भागहाणी कस्स ? अण्णद० सम्माइहिस्स वा मिच्छाइहिस्स वा। असंखे०गुणहाणी कस्स ? अण्णद० दसणमोहक्खवगस्स चरिमे हिदिखंडगे सम्मत्ते पक्वित्ते सम्मामि० असंखे०गुणहाणी उबेल्लणाए वा। सम्मत्तस्स असंखे०. गुणहाणी कस्स ? अण्णद० उव्वेल्लणचरिमहिदिखंडगे मिच्छत्ते संपक्खिते ताधे । अणंताणु० असंखे०भागवड्डी अवहिदं कस्स ? अण्णद० मिच्छाइहिस्स । [ असंखे०भागहाणी कस्स ? अण्णद. सम्माइहिस्स मिच्छाइहिस्स वा।] संखे० भागवड्डी संखे..
विशेषता है कि अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी असंख्यातगुणहानि भी है। बारह कयाय, पुरुषवेद, भय
और जुगुप्साकी असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातभागहानि और अवस्थितविभक्ति है । हास्य, रति, अरति और शोककी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानि है। इसीप्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए।
___ इस प्रकार समुत्कीर्तना समाप्त हुई। ६ ३५६. स्वामित्वानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश। श्रोघसे मिथ्यात्वकी असंख्यातभागवृद्धि किसके होती है ? अन्यतर मिथ्याष्टिके होती है। असंख्यातभागहानि किसके होती है ? सम्यग्दृष्टि या मिथ्याष्टिके होती है। असंख्यातगुणहानि किसके होती है ? अन्यतर दर्शनमोहनीयके क्षपकके अन्तिम स्थितिकाण्डकके अपगत होने पर होती है। अवस्थितविभक्ति किसके होती है ? अन्यतर मिथ्याष्टिके होती है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी असंख्यातभागवृद्धि, असंख्यातगुणवृद्धि और अवक्तव्यविभक्ति किसके होती है ? अन्यतर सम्यग्दृष्टिके होती है। असंख्यातभागहानि किसके होती है ? अन्यतर सम्यग्दृष्टि या मिथ्यादृष्टिके होती है। असंख्यातगुणहानि किसके होती है ? जिस दर्शनमोहनीयके क्षपक अन्यतर जीवने चरम स्थितिकाण्डकको सम्यक्त्वमें प्रक्षिप्त किया है उसके सम्यग्मिथ्यात्वकी असंख्यातगुणहानि होती है। अथवा उद्वेलनाके समय होती है। सम्यक्त्वकी असंख्यातगुणहानि किसके होती है ? जिस अन्यतर जीवने उद्वेलनाके समय अन्तिम स्थितिकाण्डकको मिथ्यात्वमें प्रक्षिप्त किया है। उसके इस समय सम्यक्त्वकी असंख्यातगुणहानि होती है। अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी असंख्यातभागवृद्धि और अवस्थितविभक्ति किसके होती है ? अन्यतर मिथ्यादृष्टिके होती है। असंख्यातभागहानि किसके होती है ? अन्यतर सम्यग्दृष्टि या मिथ्यादृष्टिके होती है। संख्यातभागवृद्धि,
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