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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ पदेसविहीती ५
९ ३४५. आदेसेण णेरइय० मिच्छत्त० उक्तस्सवड्डि-अवहारामोघभंगो | उक्कस्सिया हाणी कस्स १ अण्णद० जो गुणिदकम्मंसिओ अंतोमुहुत्तेण कम्मं गुणेहिदि ति तदो सम्मत्तं पडिवण्णो सम्मत्त - सम्मामिच्छत्ताणि गुणसंकमेण पूरेदूण से काले विज्झादं पडिहिदित्ति तस्स उक्क० हाणी । सम्मत - सम्मामिच्छत्ताणमुकस्सिया बड़ी कस्स ? अण्णदरस्स गुणिदकम्मं सियस्स जो सत्तमा पुढवीए रइओ अंतोमुहुत्तेण कम्मं गुणेहिदि त्ति सम्मतं पडिवण्णो तदो सम्मत्त सम्मामिच्छत्ताणि गुणसंकमेण पूरेयुग से काले विज्झादं पडिहिदि ति तस्स उक्क० वड्डी । सम्म० उक्क० हाणी कस्स ? अण्णद० जो गुणिदकम्मं सिओ चरिमसमय अक्खीणदंसणमोहणीओ तस्स उकस्सिया हाणी । सम्मामि० उक्क० दाणी कस्स १ अण्णद० गुणसंकमेण सम्मामिच्छत्तदो सम्मत्तं पूरेयूण विज्झादं पदिदपढमसमए तस्स उक्क० हाणी । अनंताणु०४ उक्कसवडी अवद्वाणं मिच्छत्तभंगो | उक्कस्सिया हाणी कस्स १ अण्णद० गुणिदकम्मं - सियस्स सम्मत्तं पडिवज्जियूग अनंताणु ०४ विसंजोए तस्स तस्स अपच्छिमे हिदिखंडए चरिमसमयसंछोहयस्स तस्स उक्क० हाणी । बारसक० -भय- दुर्गुछा० उकस्सवडी अवद्वाणं मिच्छत्तभंगो । उक्क० हाणी कस्स ? अण्णदरस्स गुणिदकम्मंसियस्स कदकर णिज्जभावेण णेरइएस उववण्णस्स जाधे गुणसेढिसीसयाणि उदयमागदाणि ताधे तस्स उक्कसिया हाणी । एवं पुरिसवेदस्स । णवरि अवद्वाणं सम्माइद्विस्स ।
$ ३४५. आदेश से नारकियोंमें मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट वृद्धि और अवस्थानका भङ्ग ओघके समान है । उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? जो अन्यतर गुणितकमांशिक जीव अन्तर्मुहूर्तके द्वारा कर्मको गुणित करेगा किन्तु सम्यक्त्वको प्राप्त हो सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वको गुणसंक्रमके द्वारा पूरकर अनन्तर समय में विध्यातको प्राप्त होगा उसके मिध्यात्वकी उत्कृष्ट हानि होती है । सम्यक्त्व और सम्यग्मिध्यात्वकी वृद्धि किसके होती है ? जो अन्यतर गुणितकर्माशिक सातवीं पृथिवीका नारकी जीव अन्तर्मुहूर्त के द्वारा कर्मको गुणित करेगा किन्तु सम्यक्त्वको प्राप्त होकर अनन्तर सम्यक्त्व और सम्यग्मिध्यात्वको गुणसंक्रमके द्वारा पूरकर अनन्तर समयमें विध्यातको प्राप्त होगा उसके इनकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है । सम्यक्त्वकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? जो अन्यतर गुणितकर्माशिक जीव अन्तिम समयमें दर्शनमोहनीयकी क्षपणा कर रहा है उसके इसकी उत्कृष्ट हानि होती है । सम्यग्मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? जो अन्यतर जीव गुणसंक्रमके द्वारा सम्यग्मिथ्यात्व से सम्यक्त्वको पूरकर विध्यातको प्राप्त होता है उसके प्रथम समय में उसकी उत्कृष्ट हानि होती है । अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी उत्कृष्ट वृद्धि और अवस्थानका भङ्ग मिथ्यात्व के समान है । इनकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? जो अन्यतर गुणितकर्माशिक जीव सम्यक्त्वको प्राप्त होकर अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी विसंयोजना करते समय अन्तिम स्थितिकाण्डका अन्तिम समयमें संक्रमण कर रहा है उसके इनकी उत्कृष्ट हानि होती है । बारह कषाय, भय और जुगुप्साकी उत्कृष्ट वृद्धि और अवस्थानका भङ्ग मिध्यात्वके समान है । इनकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? जो अन्यतर गुणितकर्माशिक जीव कृतकृत्यभावसे नारकियों में उत्पन्न हुआ उसके जब गुणश्रेणिशीर्ष उदयको प्राप्त होता है तब उसके इनकी उत्कृष्ट हानि होती है । इसीप्रकार पुरुषवेदके विषय में जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि इसका अवस्थान
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