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जयधवलाहिदे कसायपाहुडे [पदेसविहत्ती ५ अणुद्दिसप्पहुडि जाव सव्वहा ति मिच्छ०-सम्म०-सम्मामि० अणंताणु० चउक्क. इत्यि०-णवूस. अप्प० बारसक०-पुरिस०-भय-दुगुंछा० भुज०-अप्प०-अवहि. हस्स-रइ-अरइ-सोगाणं भुज०-अप्प. केव० १ लोग० असंखे०भागे । एवं जाव अणाहारि त्ति ।
खेत्तं गदं। ३१७. पोसणाणुगमेण दुविहो णिदेसो-ओघेण आदेसेण य । ओघेण मिच्छ०-सोलसक०-भय--दुगुंछ• भुज०-अप्प०-अवहिदविहत्तिएहि केव० पोसिदं ? सबलोगो । अणंताणु०चउक्क० अवत्त० लोगस्स असंखे० भागो अहचोदस० । सम्म०-सम्मामि० भुज०-अवत्तव्वविहत्तिएहि लोगस्स असंखे०भागो अहचोदस० । अप्प० के० ? लोग० असंखे० भागो अहचोद्दस० सव्वलोगो वा । अवढि० केव० पो० ? लोग० असंखे०भागो अट्ठ-बारहचोदस० । छण्णोक. भुज०-अप्प. केव० पोसिदं ? सव्वलोगो। तेसिं चेव अवहि० लोगस्स असंखे०भागो । एवं पुरिस० । णवरि अवहि. केव० फोसिदं ? लोग० असंखे०भागो अहचोदस० देसूणा । लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्र है। इसीप्रकार मनुष्य अपर्याप्तकोंमें जानना चाहिए। अनुदिशसे लेकर सर्वार्थसिद्धितकके देवोंमें मिथ्यात्व, सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, अनन्तानुबन्धीचतुष्क, स्त्रीवेद और नपुंसकवेदके अल्पतर पद्वाले जीवोंका, बारह कषाय, पुरुषवेद, भय और जुगुप्साके भुजगार, अल्पतर और अवस्थित पदवाले जीवोंका तथा हास्य, रति, अरति
और शोकके भुजगार और अल्पतर पदवाले जीवोंका कितना क्षेत्र है ? लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्र है । इसीप्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए ।
___ इसप्रकार क्षेत्र समाप्त हुआ। ६३१७. स्पर्शनानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश। अोघसे मिथ्यात्व, सोलह कषाय, भय और जुगुप्साकी भुजगार, अल्पतर और अवस्थितविभक्तिवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? सर्वलोक क्षेत्रका स्पर्शन किया है। अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी अवक्तव्यविभक्तिवाले जीवोंने लोकके असंख्यातवें भाग और बसनालीके कुछ कम आठ बटे चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी भुजगार और श्रवक्तव्यविभक्तिवाले जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और त्रसनालीके कुछ कम आठ बटे चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। अल्पतरविभक्तिवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? लोकके असंख्यातवें भाग, त्रसनालीके कुछ कम आठ बटे चौदह भाग और सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। अवस्थितविभक्तिवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? लोकके असंख्यात भाग, सनालीके कुछ कम आठ और कुछ कम बारह बटे चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। छह नोकषायोंकी भुजगार और अल्पतरविभक्तिवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। उन्हींकी अवस्थितविभक्तिवाले जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। इसीप्रकार पुरुषवेदकी अपेक्षा स्पर्शन जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि इसकी अवस्थितविभक्तिवाले
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