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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ पदेसविहती ५ एवं सत्तमु पुढवीसु पंचिं०तिरिक्वतिय० मणुस्सोघो देवगइ भवणादि जाव सहस्सारे त्ति देवेसु णेदव्वं । गवरि मणुस्सेसु छण्णोक० अवहि० असंखे०भागो।
३०६. पंचितिरिक्खअपज्ज० मिच्छ०-सोलसक०-भय-दुगुंछ० भुज. सव्वजी० केव०१ संखेज्जा भागा। अप्प० सव्वजी० केव० ? संखे० भागो। अवहि. असंखे०भागो । सम्म०-सम्मामि० णत्थि भागाभागो । कुदो १ एयपदत्तादो । इत्थि०पुरिस०-हस्स-रइ० भुज० सयजी० केव० ? संखे०भागो। अप० सव्वजी० केव.? संखेज्जा भागा । णqस०-अरदि-सोग० भुज० संखेज्जा भागा । अप्प० संखे०भागो । एवं मणुसअपज्जत्ताणं ।
$३१०. मणुसपज्जत्त-मणुसिणीसु मिच्छत्त-बारसक०-भय-दुगुंछ० भुज० संखेजा भागा। अप्प०-अवहि० संखे०भागो । एवमणताणु० चउक्कस्स । णवरि अवत्त० संखे. भागो। सम्म०-सम्मामि० भुज० अवहि-अवत्त० सव्वजी० के० १ संखे० भागो। अप्प० संखेज्जा भागा । इत्थि-हस्स-रइ भुज० संखे०भागो । अप्प० संखेज्जा भागा । एवं पुरिस० । णवरि अवहि. संखे० भागो । णस०-अरदि०-सोग. भुज० संखेज्जा
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जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। इसीप्रकार सातों पृथिवियोंमें पञ्चेन्द्रिय तियश्चत्रिक, सामान्य मनुष्य, देवगतिमें देव और भवनवासियोंसे लेकर सहस्त्रारकल्प तकके देवोंमें जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि मनुष्योंमें छह नोकषायोंकी अवस्थितविभक्तिवाले जीव असंख्यातवें आगप्रमाण हैं।
६३०६. पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च अपर्याप्तकोंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय, भय और जुगुप्साकी भुजगारविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। अल्पतरविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं। संख्यातवें भागप्रमाण हैं। अवस्थितविभक्तिवाले जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं । सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका भागाभाग नहीं है, क्योंकि उनका एक पद है। स्त्रीवेद, पुरुषवेद, हास्य और रतिकी भुजगारविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यातवें भागप्रमाण हैं । अल्पतरविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। नपुंसकवेद, अरति और शोककी भुजगारविभक्तिवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। अल्पतरविभक्तिवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं । इसीप्रकार मनुष्य अपर्याप्तकोंमें जानना चाहिए।
६३१०. मनुष्यपर्याप्त और मनुष्यिनियोंमें मिथ्यात्व, बारह कषाय, भय और जुगुप्साकी भुजगारविभक्तिवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। अल्पतर और अवस्थितविभक्तिवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं। इसीप्रकार अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी अपेक्षा जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि अवक्तव्यविभक्तिवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी भुजगार, अवस्थित और अवक्तव्यविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यातवें भागप्रमाण हैं। अल्पतरविभक्तिवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। स्त्रीवेद, हास्य और रतिकी भुजगारविभक्तिवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं । अल्पतरविभक्तिवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। इसीप्रकार पुरुषवेदकी अपेक्षा जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि अवस्थितविभक्तिवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं। नपुंसकवेद, अरति और
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