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________________ rwari गा० २२] उत्तरपयडिपदेसविहत्तीए भुजगारे भागाभागो मिच्छत्त०-सोलसक०-भय-दुगुंछ० भुज विहत्तिया सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? संखेजा भागा । अप्प० सव्वजी० केव० ? संखे०भागो । अवडि० सव्वजी० केव० ? असंखे०भागो। णवरि अणंताणु चउक्क० अवत्त० सव्वजी० केव०? अणंतिमभागो। सम्म०-सम्मामि० भुज०-अवत्त-अवहि० सव्वजी० केव० ? असंखे भागो । अप्प० असंखेजा भागा। इत्थि-हस्स-रइ० भुज. सव्व० केव० ? संखे०भागो। अप्प संखेज्जा भागा। पुरिस० एवं चेव । णवरि अवहि० अणंतिमभागो । णस०-अरदिसोग० भुज० सव्वजी० केव० ? संखेज्जा भागा । अप्प० सव्वजी० केव० १ संखे०भागो। छण्णोक. अवहि० सव्वजी० के० १ अणंतिमभागो। एवं तिरिक्खा० । णवरि छण्णोक० अवहि० णत्थि । ३०८. आदेसेण गैरइय० मिच्छ०-सम्म०--सम्मामि०-बारसक०--अहणोकसायाणमोघो । णवरि छण्णोक. अवहि. त्थि। अणंताणु०चउक्क० भुज. सव्वजी० केव० ? संखेज्जा भागा। अप्प० सव्वजी. केव० ? संखे०भागो। सेसपदहिद० असंखे०भागो। पुरिस० ओघो । णवरि अवहि० सव्वजी० के० १ असंखे०भागो । मिथ्यात्व, सोलह कषाय, भय और जुगुप्साकी भुजगारविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। अल्पतरविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यातवें भागप्रमाण हैं। अवस्थितविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। इतनी विशेषता है कि अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी अवक्तव्यविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? अनन्तवें भागप्रमाण हैं। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी भुजगार, अवक्तव्य और अवस्थितविभक्तिवाले जीव सत्र जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। अल्पतरविभक्तिवाले जीव असंख्यात बहुभागप्रमाण हैं। स्त्रीवेद, हास्य और रतिकी भुजगारविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यातवें भागप्रमाण हैं। अल्पतरविभक्तिवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। पुरुषवेदका भङ्ग इसीप्रकार है। इतनी विशेषता है कि अवस्थितविभक्तिवाले जीव अनन्तवें भागप्रमाण हैं। नपुंसकवेद, अरति और शोककी भुजगारविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यात बहुभागप्रमाण हैं । अल्पतरविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यातवें भागप्रमाण हैं । छह नोकषायोंके अवस्थितविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? अनन्तवें भागप्रमाण हैं। इसीप्रकार तिर्यञ्चोंमें जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि इनमें अवस्थितविभक्ति नहीं है। ६३०८. आदेशसे नारकियोंमें मिथ्यात्व, सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, बारह कषाय और आठ नोकषायोंका भङ्ग ओघके समान है। इतनी विशेषता है कि छह नोकषायोंकी अवस्थितविभक्ति नहीं है। अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी भुजगारविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। अल्पतरविभक्तिवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यातवें भागप्रमाण हैं। शेष पदविभक्तिवाले जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं। पुरुषवेदका भङ्ग ओघके समान है। इतनी विशेषता है कि अवस्थितविभक्तिवाले जीव सब Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001413
Book TitleKasaypahudam Part 07
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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